Hindi, asked by SoniyaS7, 9 months ago

no. कोरोना वायरस से संबंधित एक कविता की रचना कीजिए। (लगभग
100-120 शब्दों में)​

Answers

Answered by vktripathi8810
2

कल रात सपने में आया कोरोना....

उसे देख जो मैं डरातो मुस्कुरा के बोला

मुझसे डरो ना...

उसने कहा- कितनी अच्छी है तुम्हारी संस्कृति।

न चूमते,न गले लगाते

दोनों हाथ जोड़ कर वो स्वागत करते,

मुझसे डरो ना..

कहां से सीखा तुमने ??

रूम स्प्रे ,बॉडी स्प्रे,

पहले तो तुम धूप,

दीप कपूर अगरबत्ती,लोभान जलाते

वही करो ना,

मुझसे डरो ना...

शुरू से तुम्हें सिखाया गया

अच्छे से हाथ पैर धोकर घर में घुसो,

मत भूलो अपनी संस्कृति

वही करो ना

मुझसे डरो ना...

उसने कहा सादा भोजन उच्च विचार

यही तो है तुम्हारे संस्कार।

उन्हें छोड़ जंक फूड फ़ास्ट फूड के चक्कर में पड़ो ना

मुझसे डरो ना...

उसने कहा शुरू से ही जानवरों को पाला-पोसा प्यार दिया

रक्षण की है तुम्हारी संस्कृति,उनका भक्षण करो ना

मुझसे डरो ना

कल रात मेरे सपने में आया कोरोना

बोला मुझसे डरो ना।

बहुत मेहनत लगी है

बहुत मेहनत लगी हैप्लीज ब्रेनलिएस्ट मार्क कीजिए

Answered by meghaisthebest
1

Answer:

आ ही गए हो तो नज़रे भी चुरा सकते नहीं,

हाथ जोड़कर करते हैं स्वागत,

हाथ हम मिला सकते नहीं,

परम्परा है अतिथियों का सत्कार करने की,

इसलिए नज़रे तुमसे चुरा सकते नहीं,

हाथ जोड़कर करते हैं स्वागत,

हाथ हम मिला सकते नहीं,

तेरे आने से देश में मायूसी सी छाई है,

जैसे एक आंधी, काली घटा घेर लायी है,

फिर भी नही डरेंगे तुमसे,

क्योंकि चिकित्सा पद्धति सबसे पहले भारत में ही आयी है,

निपटने का तुझसे हर सम्भव प्रयास जारी है,

तुमने तो फैला लिया अपना कहर,

अब निपटने की आयी तुम्हारी बारी है,

निकाल फेकेंगे तुझको इस देश की जड़ो से हम,

जैसे तुम कभी यहां आये ही न थे,

डॉक्टर की मेहनत से बेफिक्र हो जाएगा

यहां का हर एक नागरिक,

जैसे वो इससे कभी घबराए ही न थे,

डॉक्टर की मेहनत, समर्पण, और उनके इस ज़ज़्बे को में दिल से सलाम करता हूं,

कोई कितना भी करले अपमानित आपको,

पर मैं इस दुख की घड़ी में आपकी मेहनत को सत सत प्रणाम करता हूं,

मेरे देश पे आके तूने ए वाइरस नज़रे जो गढ़ा दी,

यहां तो पहले से ही थी लोगो में नजदीकियां बहुत कम,

तूने तो आके दूरिया और बढ़ा दी,

डरने लगा है आदमी-आदमी को गले लगाने से ,

इससे ज्यादा बुरा दृश्य इन आंखों के लिए और क्या होगा,

भगाएंगे तुझको यहां से ऐसे जैसे न तू यहां था न यहां होगा,

जो जहां है वही रुक गया है , ना कोई कही आ रहा है ना जा रहा है ,

तेरी वजह से कितना परेशां ये इंसा हो रहा है ,

कितनो की ज़िन्दगी छीन ली है तूने,

कितनो के घर उजाड़े है तूने,

चहल-पहल रहती थी जहां चारो और ,

सब ठिकाने तेरे कहर से हो गए हैं सूने- सूने,

है ईश्वर है अल्लाह इस दुख की घड़ी से बचा दुनिया को,

जैसे निवारण करता है कष्टो का वेसे ही निपटा दे इस महामारी को,

हर जनमानस की प्रतिरक्षा की शक्ति बढ़ा देना तू,

वाइरस के हमले से पहले,

वाइरस को ही मिटा देना तू l

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