note bandi essay in hindi about 450 words
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note bandi essay500 और 1000 रुपये के नोट को तत्काल बंद होने से लोगों में काले धन से निपट लेने का हौसला तो जगा है, लेकिन इससे पैदा हुई उनकी रोजमर्रा की दिक्कतें कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही हैं। जब तक बैंकएवं बैंक के एटीएम जहां से कैश मिल रहा है, कैश मिलना जब तक बंद नहीं हो रहा है, लोग कतार में लगे हैं, लोग तभी वापिस जा रहे हैं जब कैश खत्म हो जा रहा है। कितने लोग द्वारा पूरे दिन बर्बाद करने के बाद भी उनका नंबर नहीं आया और बैंक का रुपया एवं समय भी समाप्त हो गया। क्योंकि कुछ बैंक जब तक उनकेपास कैश है बैंक का समय अवधि समाप्त होनेपर भी रुपये दे रहे हैं लेकिन इससे भी समस्या का समाधान नहीं दिख पा रहा है। क्योंकि इसकालाभ सिर्फ बैंक के शाखा एवं बैंक एटीएम तक पहुंचने वाले लोग ही ले रहे हैं। इस मामले में सरकार के नीति-विश्लेषकजो बड़े-बड़ेबयान दे रहे हैं उनके बयान से नकारापन झलकता है और ऐसा लगताहै वे अनुमान लगाने में पूर्णतः विफल रहे, उनका अनुमान तथ्यों पर आधारित नहीं है और धरातल के वस्तुस्थिति से बिल्कुल ही अनभिज्ञ हैं,
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नोटबंदी या विमुद्रीकरण से आशय है, किसी देश द्वारा किसी निश्चित मूल्य की प्रचलित मुद्रा को बन्द कर देना। इसके कई उधेश्य हो सकते हैं, उदाहरण के लिए नकली नोटों को चलन से बाहर करना या
भ्रष्टाचार पर लगाम कसना आदि।
हाल ही में हमारे देश भारत में भी 500 और 1000 के नोटों की नोखनरी की गई।अर्थात् पहले से चलन में रहे इन दोनों मूल्य के नोटों को चलना से बाहर कर दिया गया।
स्वभाविक तौर पर इस तरह के फैसलों से अस्थायी तौर पर वित्तिय संकट पैदा होता है और ये भारत में भी हुआ। बाजार में मुद्रा की कमी से लेनदेन प्रभावित होता है और अर्थव्यवस्था ठप्प हो जाती है। कई बार लोगों को अत्यावश्यक वस्तुओं से भी वंचित रहना पड़ता है।
लेकिन प्रशासन के द्वारा की गई तैयारियों और आपसी सहयोग से इस समस्या से काफी हद तक निबटा जा सकता है।
नोटबंदी का फैसला दूरगामी सोच रखते हुए भविष्य के बड़े फायदों को ध्यान में रखते हुए लिया जाता है। अतः भारत में इसके नफे नुकसान का ठीक ठीक आकलन भविष्य में ही किया जा सकता है।
भ्रष्टाचार पर लगाम कसना आदि।
हाल ही में हमारे देश भारत में भी 500 और 1000 के नोटों की नोखनरी की गई।अर्थात् पहले से चलन में रहे इन दोनों मूल्य के नोटों को चलना से बाहर कर दिया गया।
स्वभाविक तौर पर इस तरह के फैसलों से अस्थायी तौर पर वित्तिय संकट पैदा होता है और ये भारत में भी हुआ। बाजार में मुद्रा की कमी से लेनदेन प्रभावित होता है और अर्थव्यवस्था ठप्प हो जाती है। कई बार लोगों को अत्यावश्यक वस्तुओं से भी वंचित रहना पड़ता है।
लेकिन प्रशासन के द्वारा की गई तैयारियों और आपसी सहयोग से इस समस्या से काफी हद तक निबटा जा सकता है।
नोटबंदी का फैसला दूरगामी सोच रखते हुए भविष्य के बड़े फायदों को ध्यान में रखते हुए लिया जाता है। अतः भारत में इसके नफे नुकसान का ठीक ठीक आकलन भविष्य में ही किया जा सकता है।
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