ओ चराचर! मत चूक अवसर - इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
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इन पंक्तियों के माध्यम से कवयित्री ने समस्त संसार को ईश्वर भक्ति से न चूकने की प्रेरणा दी है। भारतीय दर्शन के अनुसार मानव जन्म बहुत कठिनाई से प्राप्त होता है। भक्ति द्वारा जन्म मरण के चक्र से छुटकारा प्राप्त किया जा सकता है इसलिए कवयित्री इस अवसर का लाभ उठाने के लिए कहती है। कवयित्री के अनुसार हम सभी को इस जीवन का लाभ उठाते हुए शिव भक्ति में अपना जीवन समर्पित कर देना चाहिए। जीव यदि इंद्रियों के वश में रहेगा तो वह सांसारिक मोह माया में उलझा रहेगा और इस कारण ईश्वर प्राप्ति से चूक जाएगा अत: समय रहते हमें इस दुर्लभ अवसर का लाभ उठाना चाहिए। सारांश में इस पंक्ति में कवयित्री ने हमें भगवान शिव का यह संदेश दिया है कि मानव को लोभ, मोह, ईर्ष्या आदि को त्याग कर ईश्वर प्राप्ति के लिए प्रयास करना चाहिए।
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