ओ३म ्शब्द मेंकि तनेवर्ण होतेहैं?
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I don't know Hindi I know enliah
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ओ३म् (ॐ) या ओंकार का नामान्तर प्रणव है। यह ईश्वर का वाचक है। ईश्वर के साथ ओंकार का वाच्य-वाचक-भाव सम्बन्ध नित्य है, सांकेतिक नहीं। संकेत नित्य या स्वाभाविक सम्बन्ध को प्रकट करता है। सृष्टि के आदि में सर्वप्रथम ओंकाररूपी प्रणव का ही स्फुरण होता है। तदनन्तर सात करोड़ मन्त्रों का आविर्भाव होता है। इन मन्त्रों के वाच्य आत्मा के देवता रूप में प्रसिद्ध हैं। ये देवता माया के ऊपर विद्यमान रह कर मायिक सृष्टि का नियन्त्रण करते हैं। इन में से आधे शुद्ध मायाजगत् में कार्य करते हैं और शेष आधे अशुद्ध या मलिन मायिक जगत् में। इस एक शब्द को ब्रह्माण्ड का सार माना जाता है, 16 श्लोकों में इसकी महिमा वर्णित है।[
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