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3. राष्ट्र को व्यक्ति का जामा पहनाते हुए जिसनारी रूप को चुना गया वह असल जीवन में कोई खास महिला
नहीं थी । यह तो राष्ट्र के अमूर्त विचार को ठोस रूप प्रदान करने का प्रयास था और यह छवि राष्ट्र
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राष्ट्र को व्यक्ति का जामा पहनाते हुए जिसनारी रूप को चुना गया वह असल जीवन में कोई खास महिला नहीं थी । यह तो राष्ट्र के अमूर्त विचार को ठोस रूप प्रदान करने का प्रयास था और यह छवि राष्ट्र ...रूपक... बन गई।
✎... यूरोप में 19वीं सदी के दौरान नारी की छवि को राष्ट्र का रूपक बनाने के लिए कलाकारों ने राष्ट्र को व्यक्ति के रूप में पेश करने का एक उपाय निकाल लिया और उन्होंने राष्ट्र को नारी के वेश में प्रस्तुत करना शुरू कर दिया।
राष्ट्र को व्यक्ति का जामा पहनाते हुए उन्होंने जिस नारी रूप को चुना. वह कोई विशेष नारी नहीं थी वह तो राष्ट्र के रूप में एक अमूर्त विचार को ठोस रूप प्रदान करने का प्रयास भर था और नारी की यही छवि राष्ट्र का रूपक बन गई।
यूरोप की क्रांतियों में प्रमुख एक फ्रांसीसी क्रांति के दौरान कई कलाकारों ने न्याय, स्वतंत्रता, लोकतंत्र जैसे अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए नारी के इसी रूपक का निरंतर प्रयोग किया।
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