Social Sciences, asked by shivamrajpcs, 3 months ago

ऑडिट क्राफ्ट ऑन केम इन टू एक्सटेंड ​

Answers

Answered by kvsatyam07
0

क्या आपका खुद का कारोबार है? या आप पेवेशर सेवाएं देते हैं? एक सीमा से ज्यादा कारोबार होने पर आपको अपने खातों का टैक्स ऑडिट कराना पड़ता है. ऐसा नहीं करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है. क्या है टैक्स ऑडिट, कब पड़ती है इसकी जरूरत और क्या हैं इसके फायदे? हम इन सवालों का जवाब दे रहे हैं.

1. टैक्स ऑडिट करदाताओं के खातों की समीक्षा है. ऐसे करदाताओं में खुद का कारोबार करने वाले या पेशेवर सेवाएं देने वाले शामिल होते हैं. इन खातों की समीक्षा इनकम, डिडक्शन, कर कानूनों के अनुपालन इत्यादि के नजरिए से की जाती है.

इसे भी पढ़ें : मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम पर कैसे क्लेम करें टैक्स बेनिफिट?

2. जिन करदाताओं का टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है और प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम का चयन नहीं किया है या जिनकी कुल व्यावसायिक आय 50 लाख रुपये से अधिक है, उन्हें टैक्स ऑडिट कराने की जरूरत होती है.

3. टैक्स ऑडिट सुनिश्चित करता है कि बही-खातों का उचित रखरखाव किया गया है और इसके लिए टैक्स ऑडिटर ने सर्टिफिकेशन दिया है.

4. टैक्स ऑडिट रिपोर्ट को 30 सितंबर या उससे पहले दाखिल कर देना चाहिए. यह उन करदाताओं के मामले में अनिवार्य है जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेनदेन से जुड़ा कोर्इ सौदा नहीं किया है.

इसे भी पढ़ें : 2018 में निवेश के लिए ये हैं सबसे अच्छे लार्जकैप म्यूचुअल फंड

5. बही-खातों का ऑडिट कराने में विफल रहने वाले करदाताओं को पेनाल्टी का भुगतान करना पड़ता है. यह पेनाल्टी टर्नओवर का 0.5 फीसदी होती है. लेकिन, डेढ़ लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो सकती है.

इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.

Answered by pratibhagond185
0

Answer:

it's of telegram I'd you have sent

Similar questions