CBSE BOARD XII, asked by vilashdeshmukh153, 1 year ago

२ऑक्टोबर गांधी जयंतीच्या निमित्ताने जवाहर
विघ्यालय नागपूर या कायक्रम होण्यात आला.
त्याचा वृतांत लिहा.​

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Answered by rithvik301
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Explanation:

नई दिल्ली: गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) देश भर में बड़े ही उत्साह के साथ मनाई जा रही है. देश को आजादी दिलाने वाले बापू की याद में 2 अक्टूबर (Octorber 2) यानी उनकी जयंती के दिन देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. गांधी जी (Mahatma Gandhi) का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. 2 अक्टूबर के दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) के दिन लोग राजघाट नई दिल्ली में गांधी प्रतिमा के सामने श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है. गांधी जंयती के मौके पर स्कूलों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और इस दौरान कई स्टूडेंट्स भाषण प्रतियोगिता में भाग लेते हैं. इस गांधी जयंती पर अगर आप भाषण  देने वाले हैं तो आप इस तरह का भाषण दे सकते हैं:

आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती है और मैं आप सभी को इस दिन की शुभकामनाएं देता/देती हूं. गांधी जयंती के अवसर पर मुझे बोलने का मौका मिला इस पर मुझे गर्व महसूस हो रहा है. हर साल की तरह इस साल भी हम सब इस दिन को मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं. महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था. गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था. उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतली बाई था. उनका विवाह 13 वर्ष उम्र में कस्तूरबा के साथ हो गया था. गांधी जी लंदन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए गए थे. उन्होंने लंदन में पढ़ाई कर बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की थी. वहां से लौटने के बाद उन्होंने भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई. सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले गांधी को लोग प्यार से बापू बुलाते हैं. हमें बापू से ये सीखना चाहिए कि परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, सत्य का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए. उन्होंने पूरे देश को बताया की हर लड़ाई खून खराबे से पूरी नहीं होती. लड़ाई अहिंसा का रास्ता अपनाकर भी लड़ी जा सकती है. चाहे वो देश को आजाद करवाने की लड़ाई ही क्यों न हो. महात्मा गांधी को विश्व पटल पर अहिंसा के प्रतीक के तौर पर जाना जाता है. दुनिया भर में हिंसा बढ़ती जा रही है, ऐसे में हमें बापू के संदेश को लोगों तक पहुंचाना चाहिए. बापू के विचारों को आगे बढ़ाकर हम हिंसक विचारधारा को रोक सकते हैं.  मैं आपको अपने भाषण को सुनने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं और इसी के साथ रामधारी सिंह दिनकर की लिखी 2 पंक्तियां पढ़कर अपनी वाणी को विराम देना चाहता हूं/चाहती हूं.

ली जांच प्रेम ने बहुत, मगर बापू तू सदा खरा उतरा

शूली पर से भी बार-बार, तू नूतन ज्योति भरा उतरा

जय हिंद..

by rithvik 301 no spaming

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