"ऑनलाइन परीक्षाओं के लाभ और हानि" विषय पर दो मित्रों के बीच 30 से 35 शब्दों में
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विश्वव्यापी लॉकडाउन के बीच तमाम देशों में ऑनलाइन कक्षाओं और इंटरनेट से पढ़ाई पर जोर है. भारत भी इससे अछूता नहीं जहां ऑनलाइन शिक्षा की जरूरत और उसके कारोबार के बीच डिजिटल साक्षरता और डिजिटल विभाजन जैसे मुद्दे सामने हैं.
भारत में स्कूल कॉलेज समेत तमाम शैक्षणिक संस्थान अपने अपने शैक्षिक सत्र पूरे कर पाते, इससे पहले ही कोरोना संकट के चलते उन्हें 24 मार्च से बंद कर दिया गया. लॉकडाउन की इस अवधि में ऑनलाइन शिक्षण से सत्र पूरा करने की कोशिश की गयी. कई शिक्षण संस्थानों में कक्षाएं जारी थीं और इम्तहान लंबित थे. मिडिल और सेकेंडरी कक्षाएं ऑनलाइन कराने के लिए जूम जैसे विवादास्पद वेब प्लेटफॉर्मो का सहारा लिया गया. कहीं गूगल तो कहीं स्काइप के जरिए कक्षाएं हुईं. कहीं यूट्यूब पर ऑनलाइन सामग्री तैयार की गई तो कहीं लेक्चर और कक्षा के वीडियो तैयार कर ऑनलाइन डाले गए और व्हाट्सऐप के माध्यम से विद्यार्थियों के समूहों में भेजे गए. लेकिन अधिकांश संस्थान ऑनलाइन परीक्षा के लिए तैयार नहीं हैं. जानकार लोगों का मानना है कि आईआईटी जैसे संस्थान अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षाएं ऑनलाइन करा सकते हैं.
वास्तविक दुनिया में कोविड की दहशत, बचाव और बदइंतजामियों की हलचलों के बीच वर्चुअल संसार में एक खामोश सी गहमागहमी मची हुई थी. घर देखते ही देखते क्वारंटीन ही नहीं बल्कि ऑनलाइन कामकाज और ऑनलाइन पढ़ाई के ठिकाने बन गए. ये सिलसिला करीब डेढ़ महीने से जोरशोर से चल रहा था. इधर बहुत से शैक्षणिक संस्थानों में गर्मी की छुट्टियां घोषित हो चुकी है और कई संस्थानों में चंद रोज में अपेक्षित हैं तो अब इस सिलसिले की गति थम गयी है. लेकिन इस पूरे तजुर्बे ने भविष्य की शिक्षा के तौरतरीकों में बदलाव के संकेत ही नहीं दिए हैं बल्कि रास्ते भी तैयार कर दिए हैं.
क्लास में न मिले तो क्या, बच्चों की वीडियो पर बातचीत
वर्चुअल कोचिंग सेंटर बनाने की होड़
राजस्थान के कोटा जैसी कोचिंग नगरियों के फिलहाल सूना पड़ जाने से समांतर वर्चुअल कोचिंग अड्डे वजूद में आ गए हैं. विशेषज्ञ एक समय तक बंद कमरों में पढ़ा रहे थे अब स्क्रीनों पर देखते हुए पढ़ा रहे हैं. बड़े पैमाने पर ऑनलाइन कोचिंग संस्थानों, डिजिटल क्लासरूम और ऑनलाइन पाठ्यक्रमों को हासिल करने के लिए रजिस्ट्रेशन की होड़ है. शिक्षा सामग्री के उत्पादन और उपभोग का एक नया ई-मार्केट खुल चुका है. कोरसेरा, बाईजूस, वेदांतु और माइंडस्पार्क जैसे बहुत से ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफॉर्म और ट्युटोरियल की मांग पिछले कुछ वर्षों से देखी जा रही है. इसी लोकप्रियता का नतीजा है कि ऑनलाइन क्लासों के प्लेटफॉर्म बाईजूस के संस्थापक बाईजू रविंद्रन भारत के सबसे युवा अरबपति बताए गए हैं. फोर्ब्स की लिस्ट में उनकी संपत्ति का कुल मूल्य करीब दो अरब डॉलर आंका गया है.
ऑडिट और मार्केटिंग की शीर्ष एजेंसी केपीएमजी और गूगल ने ‘भारत में ऑनलाइन शिक्षाः 2021' शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें 2016 से 2021 की अवधि के दौरान भारत में ऑनलाइन शिक्षा के कारोबार में आठ गुना की अभूतपूर्व वृद्धि आंकी गयी हैं. 2016 में ये कारोबार करीब 25 करोड़ डॉलर का था और 2021 में इसका मूल्य बढ़कर करीब दो अरब डॉलर हो जाएगा. शिक्षा के पेड यूजरों की संख्या 2016 में करीब 16 लाख बताई गयी थी, 2021 में जिनके करीब एक करोड़ हो जाने की संभावना है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में 993 विश्वविद्यालय, करीब चालीस हजार महाविद्यालय हैं और 385 निजी विश्वविद्यालय हैं. उच्च शिक्षा में करीब चार करोड़ विद्यार्थी हैं और नामांकित छात्रों की दर यानी ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो बढ़कर 26.3 प्रतिशत हो गया है. देश के प्रमुख शिक्षा बोर्ड सीबीएसई की 2019 की परीक्षा के लिए 10वीं और 12वीं कक्षाओं में 31 लाख से ज्यादा विद्यार्थी नामांकित थे. सीआईसीएसई के अलावा विभिन्न राज्यों के स्कूली बोर्डों की छात्र संख्या भी करोड़ों में है. इन आंकड़ों को देखते हुए ही इंटरनेट शिक्षा से जुड़ी एजेंसियां लाभ की उम्मीदों में सराबोर हैं. ऑनलाइन लर्निग के तहत वर्चुअल कक्षाएं और वीडियो-ऑडियो सामग्री, प्रस्तुतियां, पाठ्यक्रम और ट्युटोरियल तो हैं ही, वेबिनार, मॉक टेस्ट, वीडियो और काउंसलिंग आदि की विधियां भी ऑनलाइन संचालित की जा रही हैं.
Explanation:
सोनू :- अरे मोनू तुम्हें पता है कि आजकल की ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था बहुत ही गंभीर है, अब बताओ जिस बच्चे के पास मोबाइल की व्यवस्था ना हो वह बच्चा कैसे पड़ेगा, खासकर कोई गरीब बच्चा, और अगर किसी बच्चे के पास मोबाइल आप ही गया तो ऑनलाइन पढ़ाई में नेट का बहुत प्रॉब्लम होता है।
मोनू :-हां यह बात तो तुमने सही कही मगर ऑनलाइन पढ़ाई का बहुत लाभ भी है जैसे वह बच्चे जो पहले सवाल पूछने से कतराते थे वह आज खुलकर सवाल पूछ पा रहे हैं , और तो और इस करोना काल में अब बच्चे को बाहर भी नहीं जाना पर रहा है वह घर में बैठे-बैठे कम समय में ज्यादा पढ़ पा रहे हैं आदि ।