ऑनलाइन शिक्षा की खामियाँ
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COVID-19 महामारी से पूर्व भारतीय के अधिकांश शिक्षण संस्थानों को ऑनलाइन शिक्षा का कोई विशेष अनुभव नहीं रहा है, ऐसे में शिक्षण संस्थानों के लिये अपनी व्यवस्था को ऑनलाइन शिक्षा के अनुरूप ढालना और छात्रों को अधिक-से-अधिक शिक्षण सामग्री ऑनलाइन उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती होगी।
वर्तमान समय में भी भारत में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की बहुत कमी है, देश में अब भी उन छात्रों की संख्या काफी सीमित है, जिनके पास लैपटॉप या टैबलेट कंप्यूटर जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। अतः ऐसे छात्रों के लिये ऑनलाइन कक्षाओं से जुड़ना एक बड़ी समस्या है।
शिक्षकों के लिये भी तकनीक एक बड़ी समस्या है, देश के अधिकांश शिक्षक तकनीकी रूप से इतने प्रशिक्षित नहीं है कि औसतन 30 बच्चों की एक ऑनलाइन कक्षा आयोजित कर सकें और उन्हें ऑनलाइन ही अध्ययन सामग्री उपलब्ध करा सकें।
इंटरनेट पर कई विशेष पाठ्यक्रमों या क्षेत्रीय भाषाओं से जुड़ी अध्ययन सामग्री की कमी होने से छात्रों को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
कई विषयों में छात्रों को व्यावहारिक शिक्षा (Practical Learning) की आवश्यकता होती है, अतः दूरस्थ माध्यम से ऐसे विषयों को सिखाना काफी मुश्किल होता है।
ऑनलाइन शिक्षा की खामियाँ :
▶️जैसा कि हम सभी जानते हैं कि वर्तमान में कोविड 19 या कोरोना के संकट के इंसानी जीवन के हर पक्ष को प्रभावित किया है। मानवीय जीवन के कुछ हिस्से ज्यादा और कुछ कम प्रभावित हो सकते हैं लेकिन हर किसी पक्ष पर इसका कुछ न कुछ असर तो हो ही रहा है। शिक्षा जगत भी एक ऐसा क्षेत्र है जहां इसका व्यापक असर देखा जा सकता है। ग़ौरतलब है कि 15 मार्च से ही देश के लगभग सभी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया गया और आदेश दिया गया कि ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से बाकी बचे कोर्स को पूरा कराया जाये। सरकार ने भी इस ओर ध्यान देते हुए पहले से मौजूद ऑनलाइन शिक्षा के प्लेटफार्मों जैसे स्वयं, ईपीजी—पाठशाला, डिजिटल लाइब्रेरी आदि को उपयोग करने के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिए। ऑनलाइन शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सरकार निरंतर विषय विशेषज्ञों और इससे प्रभावित लोगों के संपर्क में है। विश्वविद्यालयों, स्कूलों और कॉलेजों ने भी कोरोना से उत्पन्न समस्या को एक अवसर मानते हुए ऑनलाइन शिक्षा को अपना लिया। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि ऑनलाइन शिक्षा में क्या सबकुछ ठीक चल रहा है? COVID-19 महामारी के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिये लागू किये गए लॉकडाउन के कारण स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय की शिक्षा प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रही है। परिणामस्वरूप शिक्षा अब तेज़ी से ई-शिक्षा की ओर अग्रसर हो रही है। ई-शिक्षा से क्या तात्पर्य है? ई-शिक्षा से तात्पर्य अपने स्थान पर ही इंटरनेट व अन्य संचार उपकरणों की सहायता से प्राप्त की जाने वाली शिक्षा से है। ई-शिक्षा के विभिन्न रूप हैं, जिसमें वेब आधारित लर्निंग, मोबाइल आधारित लर्निंग या कंप्यूटर आधारित लर्निंग और वर्चुअल क्लासरूम इत्यादि शामिल हैं। आज से जब कई वर्ष पहले ई-शिक्षा की अवधारणा आई थी, तो दुनिया इसके प्रति उतनी सहज नहीं थी, परंतु समय के साथ ही ई-शिक्षा ने संपूर्ण शैक्षिक व्यवस्था में अपना स्थान बना लिया है। ◀️