Hindi, asked by ridervikash94, 7 months ago

ऑनलाइन शिक्षा के दौर में विद्यार्थियों का कर्तव्य
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" online shiksha ke dwar mein vidyarthiyon ka kartavya"

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Answered by shreyashkalwaghe
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Answer:

भारत में शिक्षा, खास कर विद्यालयी शिक्षा कभी भी दोषमुक्त नहीं रही इसलिए इसकी ओर उंगली उठा देना कोई बहुत बड़ी बात नहीं लगती. लेकिन कोरोना संकट के इस दौर में इसके कुछ और आयाम दिखाई देने लगे हैं. वर्तमान दौर में विद्यालय आधारित शिक्षा ‘ऑनलाइन’ हो गयी है. आधारभूत ढांचे और शिक्षकों की कमी से जूझ रहे विद्यालयों तक में अब इसकी पहुंच है. ऑनलाइन कक्षा को इस समय की सबसे बड़ी जरूरत के रूप में पेश किया जा रहा है. लेकिन इसके साथ ही विशेषज्ञ इसके विभिन्न दोषों पर भी ध्यान दिलाने लगे हैं. चुपके से अध्यापकों के मद में किए जा रहे खर्च में कटौती की भविष्यवाणी पर किसी का ध्यान है, तो कहीं यह बताया जा रहा है कि इस तरह की शिक्षा में बहुत सक्षम इन्टरनेट और उपकरणों की जरूरत पड़ती है इसलिए यह एक प्रकार की विभाजक रेखा बन रही है. सरकार से लेकर इन्टरनेट प्रदाता कंपनियों तक के तमाम दावों के बीच बिजली, इंटरनेट और कम से कम एक मोबाइल तक हर विद्यार्थी की पहुंच नहीं है (इस संबंध में युनेस्को की रिपोर्ट न भी देखें तो काम चल जाएगा). पठन-पाठन का यह वैकल्पिक रूप विद्यार्थियों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डाल रहा है, उनमें चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है.

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