Hindi, asked by kd1562007, 6 months ago


ऑनलाइन शिक्षण पद्धती कहा तक सफल है।
पक्ष या विपक्ष में अपने विचार लिखिए।​

Answers

Answered by muskan2758
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Answer:

अर्थव्यवस्था और सामाजिक जीवन के अलावा कोरोना वायरस ने जिस चीज को सर्वाधिक प्रभावित किया है वह है शिक्षा व्यवस्था और पठन-पाठन। स्कूली से लेकर उच्च स्तरीय शिक्षा लगभग ठप हो गई है। हालांकि कुछ स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालयों ने जूम, गूगल क्लासरूम, माइक्रोसॉफ्ट टीम, स्काइप जैसे प्लेटफॉर्मों के साथ-साथ यूट्यूब, व्हाट्सएप आदि के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षण का विकल्प अपनाया है, जो इस संकट-काल में एकमात्र रास्ता है, लेकिन इस ऑनलाइन शिक्षा का कुछ हलकों में इस प्रकार से महिमामंडन किया जा रहा है मानो हमारी शिक्षा व्यवस्था की हर समस्या का समाधान इसमें छिपा हुआ है। क्या सचमुच ऑनलाइन शिक्षा देश की सारी शैक्षिक जरूरतों का हल है? क्या ऑनलाइन शिक्षा कक्षीय शिक्षा का समुचित विकल्प है और भारतीय परिवेश के अनुकूल है? इन प्रश्नों का उत्तर जानने के साथ यह समझना भी जरूरी होगा कि शिक्षा के उद्देश्य क्या हैं?

अर्थव्यवस्था और सामाजिक जीवन के अलावा कोरोना वायरस ने जिस चीज को सर्वाधिक प्रभावित किया है वह है शिक्षा व्यवस्था और पठन-पाठन। स्कूली से लेकर उच्च स्तरीय शिक्षा लगभग ठप हो गई है। हालांकि कुछ स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालयों ने जूम, गूगल क्लासरूम, माइक्रोसॉफ्ट टीम, स्काइप जैसे प्लेटफॉर्मों के साथ-साथ यूट्यूब, व्हाट्सएप आदि के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षण का विकल्प अपनाया है, जो इस संकट-काल में एकमात्र रास्ता है, लेकिन इस ऑनलाइन शिक्षा का कुछ हलकों में इस प्रकार से महिमामंडन किया जा रहा है मानो हमारी शिक्षा व्यवस्था की हर समस्या का समाधान इसमें छिपा हुआ है। क्या सचमुच ऑनलाइन शिक्षा देश की सारी शैक्षिक जरूरतों का हल है? क्या ऑनलाइन शिक्षा कक्षीय शिक्षा का समुचित विकल्प है और भारतीय परिवेश के अनुकूल है? इन प्रश्नों का उत्तर जानने के साथ यह समझना भी जरूरी होगा कि शिक्षा के उद्देश्य क्या हैं?शिक्षा के तीन प्रमुख उद्देश्य- व्यक्ति एवं चरित्र निर्माण, समाज कल्याण, ज्ञान का उत्तरोत्तर विकास

अर्थव्यवस्था और सामाजिक जीवन के अलावा कोरोना वायरस ने जिस चीज को सर्वाधिक प्रभावित किया है वह है शिक्षा व्यवस्था और पठन-पाठन। स्कूली से लेकर उच्च स्तरीय शिक्षा लगभग ठप हो गई है। हालांकि कुछ स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालयों ने जूम, गूगल क्लासरूम, माइक्रोसॉफ्ट टीम, स्काइप जैसे प्लेटफॉर्मों के साथ-साथ यूट्यूब, व्हाट्सएप आदि के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षण का विकल्प अपनाया है, जो इस संकट-काल में एकमात्र रास्ता है, लेकिन इस ऑनलाइन शिक्षा का कुछ हलकों में इस प्रकार से महिमामंडन किया जा रहा है मानो हमारी शिक्षा व्यवस्था की हर समस्या का समाधान इसमें छिपा हुआ है। क्या सचमुच ऑनलाइन शिक्षा देश की सारी शैक्षिक जरूरतों का हल है? क्या ऑनलाइन शिक्षा कक्षीय शिक्षा का समुचित विकल्प है और भारतीय परिवेश के अनुकूल है? इन प्रश्नों का उत्तर जानने के साथ यह समझना भी जरूरी होगा कि शिक्षा के उद्देश्य क्या हैं?शिक्षा के तीन प्रमुख उद्देश्य- व्यक्ति एवं चरित्र निर्माण, समाज कल्याण, ज्ञान का उत्तरोत्तर विकासभारतीय चिंतन परंपरा के अनुसार शिक्षा के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं: व्यक्ति एवं चरित्र निर्माण, समाज कल्याण और ज्ञान का उत्तरोत्तर विकास। ऑनलाइन शिक्षा इन लक्ष्यों की र्पूित कहां तक करती है, इसकी परख जरूरी है। परंपरागत यानी आमने-सामने के कक्षीय पठन-पाठन में विद्र्यािथयों के सामने सिर्फ ज्ञान नहीं उड़ेला जाता है, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से चरित्र निर्माण की प्रक्रिया भी सतत चलती रहती है। कक्षीय परिवेश में सह-अस्तित्व एवं सहयोग, व्यापक साझेदारी, सामूहिकता एवं वैचारिक सहिष्णुता का भाव छात्रों में विकसित होता है।

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