ऑपचारिक पत्र
बाल दिवस समारोह में
शिक्षाधिकारीको आमंत्रित karne Hetu Patra likhiye
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- समाज की दूषित व्यवस्था रिश्वत को प्रोत्साहन देती है। अल्प-वेतन में परिवार का व्यय न चलने पर कभी-कभी मन दुर्बलता उत्पन्न हो जाती है और सरकारी नौकर का ध्यान भी अनौतिक साधन रिश्वत की ओर चला जाता है। वह भली-भाँति जानता है कि रिश्वत लेना पाप है, पाप की कमाई फलती-फूलती नहीं फिर भी विवशता और लाचारी में फँस कर वह पाप कर बैठता है। यदि समाज में सबको जीवनयापन के लिए समान अधिकार प्राप्त हो तो रिश्वत जैसे अनैतिक कर्म को स्थान न मिले। खेद का विषय है कि आज हमारी मनोवृत्ति इतनी दूषित हो गई है कि रिश्वत की कमाई को पूरक-पेशा समझा जाने लगा है। समाज को इस भयंकर बीमारी से बचाना चाहिए।
- गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।
- राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।
- सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।
- मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।।
- चलत राम सब पुर नर नारी ।
- पुलक पूरि तन भए सुखारी ।।
- बंदि पितर सुर सुकृत सँभारे ।
- जौं कछु पुन्य प्रभाउ हमारे ।।
- तौ सिवधनु मृनाल की नाईं।
- गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।
- राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।
- सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।
- मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।।
- चलत राम सब पुर नर नारी ।
- पुलक पूरि तन भए सुखारी ।।
- बंदि पितर सुर सुकृत सँभारे ।
- जौं कछु पुन्य प्रभाउ हमारे ।।
- तौ सिवधनु मृनाल की नाईं।
- तोरर राम गनेस गोसाई ।
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