ऑपरेशन को लेकर पारस बाबू चिंता थी
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ऑपरेशन को लेकर पारस बाबू को यह चिंता थी कि उनकी पत्नी की आंखो का ऑपरेशन सफल होगा या नहीं।
- पूछा गया प्रश्न " बिरादरी बाहर " पाठ से लिया गया है। इस पाठ के लेखक है राजेन्द्र यादव जी।
- कहानी के मुख्य पात्र है पारस बाबू। पारस बाबू पुराने खयालात के है। नई पीढ़ी के लोगो से उनका ताल मेल नहीं बैठता । उनकी बेटी मालती ने अंतर जातीय विवाह कर लिया तो पारस बाबू उससे नाराज हो गए , अन्य सभी सदस्यों ने उनके बेटे बहुओं ने मालती के पति को दामाद के रूप में स्वीकार कर लिया परन्तु पारस बाबू उस नए व्यक्ति को दामाद के रूप में स्वीकार करने में संकोच कर रहे थे।
- उनकी पत्नी आंखो का ऑपरेशन टालती अा रही थी , उसका मानना था कि आंखे ठीक न हुई तो वह किसी को देख नहीं पायेगी इसलिए ऑपरेशन से पहले सभी बेटे बहुओं को बुला लिया ,बेटी मालती को भी बुला लिया । पारस बाबू को यह चिंता सता रही थी कि आंखो का ऑपरेशन सफल होगा कि नहीं। इतने पैसे भी लग रहे है, डॉक्टर की फीस , नर्स व वार्ड बॉय अलग से पैसे मांग रहे है । यह सब व्यर्थ न चला जाए।
#SPJ1
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