ऑटोमन साम्राज्य से क्या तात्पर्य है
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उस्मानी सलतनत (१२९९ - १९२३) (या उस्मानी साम्राज्य या तुर्क साम्राज्य, उर्दू में सल्तनत-ए-उस्मानिया, उस्मानी तुर्कीयाई:دَوْلَتِ عَلِيّهٔ عُثمَانِیّه देव्लेत-इ-आलीय्ये-इ-ऑस्मानिय्ये) १२९९ में पश्चिमोत्तर अनातोलिया में स्थापित एक तुर्क राज्य था। महमद द्वितीय द्वारा १४९३ में क़ुस्तुंतुनिया जीतने के बाद यह एक साम्राज्य में बदल गया। प्रथम विश्वयुद्ध में १९१९ में पराजित होने पर इसका विभाजन करके इस पर अधिकार कर लिया गया। स्वतंत्रता के लिये संघर्ष के बाद २९ अक्तुबर सन् १९२३ में तुर्की गणराज्य की स्थापना पर इसे समाप्त माना जाता है। उस्मानी साम्राज्य सोलहवीं-सत्रहवीं शताब्दी में अपने चरम शक्ति पर था।[4] अपनी शक्ति के चरमोत्कर्ष के समय यह एशिया, यूरोप तथा उत्तरी अफ़्रीका के हिस्सों में फैला हुआ था। यह साम्राज्य पश्चिमी तथा पूर्वी सभ्यताओं के लिए विचारों के आदान प्रदान के लिए एक सेतु की तरह था। इसने १४५३ में क़ुस्तुन्तुनिया (आधुनिक इस्ताम्बुल) को जीतकर बीज़ान्टिन साम्राज्य का अन्त कर दिया। इस्ताम्बुल बाद में इनकी राजधानी बनी रही। इस्ताम्बुल पर इसकी जीत ने यूरोप में पुनर्जागरण को प्रोत्साहित किया था।
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ओटोमन का अर्थ 'तुर्क' होता है और तुर्क शब्द खाना बदोशों के लिए प्रयुक्त किया जाता था। ओटोमन साम्राज्य एक तुर्क साम्राज्य था जिसके संस्थापक उस्मान गाज़ी थे उन्हीं के नाम से इस साम्राज्य को 'उस्मानी साम्राज्य' भी कहा जाता है। ओटोमन साम्राज्य का उदय वर्ष 1266 में हुआ जिसके बाद इस साम्राज्य का विस्तार दक्षिण पूर्वी यूरोप, पश्चिम एशिया से लेकर उत्तरी अफ्रीका तक गया था। ओटोमन साम्राज्य एक ऐसा साम्राज्य था जिसने इस्लाम को उसकी बुंलदियों पर पहुँचाने और भारत में मुग़ल सल्तनत की नींव को कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ओटोमन साम्राज्य ने लगभग सात सौ साल तक राज किया और अपनी चरम अवस्था तक इस साम्राज्य का विस्तार लगभग 58 लाख वर्ग किमी तक फ़ैल चुका था। ओटोमन साम्राज्य को शक्ति, स्थिरता और धन के साथ खड़ा किया गया था। ओटोमन साम्राज्य के शासक सुलेमान ने सभी के लिए समान प्रणाली बनाई जिसके अंतर्गत उन्होंने कला और साहित्य के विभिन्न रूपों को भी अपनाया था।
ओटोमन साम्राज्य को हम तुर्क साम्राज्य या उस्मानी साम्राज्य के नाम से जानते हैं यह साम्राज्य यूरोप, एशिया तथा अफ्रीका महाद्वीप पर फैला हुआ था। 1299 से 1922 तक 600 वर्ष से भी अधिक समय अस्तित्व में रहे इस साम्राज्य की भौगोलिक स्थिति के कारण इसका यूरोप तथा अरब इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान है।