ओम का नियम क्या है इस नियम की कोई दो सीमाएं लिखिए
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Explanation:
ओम के नियम (Ohm's Law) के अनुसार यदि ताप आदि भौतिक अवस्थायें नियत रखीं जाए तो किसी प्रतिरोधक (या, अन्य ओमीय युक्ति) के सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर उससे प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है।
वास्तव में 'ओम का नियम' कोई नियम नहीं है बल्कि यह ऐसी वस्तुओं के 'प्रतिरोध' को परिभाषित करता है जिनको अब 'ओमीय प्रतिरोध' कहते हैं। दूसरे शब्दों में यह उन वस्तुओं के उस गुण को रेखांकित करता है जिनका V-I वैशिष्ट्य एक सरल रेखा होती है। ज्ञातव्य है कि वैद्युत अभियांत्रिकी एवं इलेक्ट्रानिक्स में प्रयुक्त बहुत सी युक्तियाँ ओम के नियम का पालन नहीं करती हैं। ऐसी युक्तियों को अनओमीय युक्तियाँ कहते हैं। उदाहरण के लिये, डायोड एक अनओमीय युक्ति है।
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ओम का नियम
- ओम का नियम वोल्टेज, करंट और प्रतिरोध के बीच संबंध बताता है। ये सभी V, I और R एक-दूसरे से सीधे या व्युत्क्रमानुपाती एक-दूसरे से संबंधित हैं।
- लेकिन कुछ अपवाद हैं यानी ओम का नियम सभी तत्वों पर लागू नहीं होता है। सभी तत्व इस V, I और R रैखिक संबंध का पालन नहीं करते हैं।
ओम के नियम की सीमा:
- ओम का नियम एकतरफा विद्युत तत्वों के लिए लागू नहीं होता है, उदाहरण के लिए डायोड और ट्रांजिस्टर, क्योंकि ये दोनों ही करंट को केवल एक दिशा में प्रवाहित करने की अनुमति देते हैं। जबकि ओम का नियम उन तत्वों पर लागू होता है जो दोनों दिशाओं में करंट की अनुमति देते हैं।
- ओम का नियम गैर-रैखिक तत्वों पर लागू नहीं होता है, जिसमें समाई जैसे पैरामीटर होते हैं, वोल्टेज और करंट निरंतर समय नहीं होगा।
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