On the topic Desh bhakti write the paragraph of 150 words in Hindi
Answers
देशभक्ति का तात्पर्य अपने देश के साथ प्रेम करना है । यह मानव के हृदय में जलने वाली ईश्वरीय ज्वाला है जो अपनी जन्म भूमि को अन्य सभी से अधिक प्यार करने की शिक्षा देती है ।
देशभक्त अपने देश के लिए बड़े से बड़े त्याग करने के लिए आतुर रहते हैं और अपनी मातृभूमि के लिए बलिदान होने के लिए सदा तैयार रहते हैं । कूपर ने कहा है ” इंगलैंड में कितनी भी कमियाँ क्यों न हो, मैं फिर भी इससे प्यार करता हूँ । ”
देशभक्ति एक श्रेष्ठ गुण है । एक संस्कृत उक्ति में कहा गया है कि मां और मातृभूमि तो स्वर्ग से भी महान है । अपने देश के दु:खों और खतरों में हमें इसके साथ खड़ा होने, इसके लिए कार्य करने और यदि आवश्यकता पड़े तो इसके लिए अपना जीवन अर्पण करने के लिए तैयार रहना चाहिए । क्या इसी देश ने अपनी गोदी में हमें खिलाया नही, अपनी विपुलता से हमारा पोषण और अपनी हार्दिकता से हमें सुरक्षा प्रदान नहीं की? अपने देश से प्यार न करना अकृतज्ञता के सिवाय कुछ नही ।
अपने देश के प्रति श्रद्धा और प्रेम को देशभक्ति कहते हैं । देशभक्ति एक ऐसा गुण है, जो सभ्य तथा असभ्य सभी राष्ट्रों में समान रूप से पाया जाता है । सभी को अपनी मातृभूमि से बड़ा लगाव होता है ।
जैसे एक बालक को अपनी मां से अधिक कोई अन्य स्त्री प्यारी नहीं होती, वैसे ही चाहे कैसा भी देश क्यों न हो सभी को अपना देश प्यारा होता है । यह भक्ति हमारे हृदय में रचत: उत्पन्न हो जाती है । अंग्रेजी में एक कहावत बिल्कुल ठीक है कि “चाहे पूर्व हो या पश्चिम, अपना देश सबसे अच्छा होता है ।” संस्कृत का एक श्लोक है ”जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” अर्थात् जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं ।
पुनीत भावना:
देशभक्ति बड़ी पुनीत भावना है । इसी के वशीभूत होकर हम देश की उन्नति और प्रगति में रुचि लेते हैं । देश के प्राचीन गौरव और वर्तमान उपलब्धियों से हमारा मस्तक गर्व से ऊँचा उठता है । देश भक्ति से ओतप्रोत होकर लोगों ने ऐसे बहादुरी के काम किए हैं, जो इतिहास के पृष्ठो पर आज भी स्वर्णाक्षरों से लिखे हुए हैं ।
मातृभूमि के लिए अनेक कष्टों को उठाने वाले, आत्मबलिदान करने वाले और अपना सब कुछ लुटा कर देश को गौरव दिलाने वाले लोगों से विश्व इतिहास भरा पड़ा है । जिस जाति में जितने अधिक देशभक्त हुए-देशहित के लिए हँसते-हँसते बलिदान की बेदी पर चढ़ गए-वह देश और वह जाति उतनी ही अधिक उन्नत, सम्पन्न और शक्तिशाली है ।
भारत में महाराणा प्रताप, झारनी की रानी, वीर शिवाजी अनेक देशभक्त हुए हैं, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए वर्षो तक वनों और जंगलों की खाक छानी और अपना सब कुछ निछावर कर दिया । जब किसी देश या जाति का पतन हुआ, तो उसके मूल में देशभक्तों का अभाव रहा है ।
जिस प्रकार कोई व्यक्ति अपनी मां के ऋण से कभी उऋण नहीं हो सकता वैसे ही देश के लिए जितनी सेवा, जितनी साधना और जितना त्याग किया जाये, उतना ही कम है । देशभक्त सर्वत्र महान् समझा जाता है और युगों तक उसकी पूजा होती है । इसके विपरीत देश से द्रोह करने वाला अधम समझा जाता है और लोगों की निन्दा और पूणा का पात्र होता है ।
देशभक्ति का अर्थ अन्य देशों से दोह नहीं है:
अपने देश के प्रति भक्ति का अर्थ संसार के अन्य देशों से धृणा करना नहीं है । यह बड़ी सकीर्ण मनोवृत्ति और झूठी देशभक्ति होगी । क्या अपनी मां के प्यार का अर्थ अन्य माताओं से मृणा करना है ? दूसरों को नफरत की नजर से देखना स्वार्थपरता होती है, लेकिन सच्ची देशभक्ति स्वार्थ से परे होती है ।
हम अपने देश और उसकी सस्कृति और इतिहास से सच्चा प्रेम तभी कर सकते हैं, जब हम अन्य देशों की संस्कृति और इतिहास को भी आदर की दृष्टि से देखें । हिटलर की तरह की अंधी देशभक्ति और जातीय घमण्ड जो केवल जर्मन राष्ट्र को ही सभ्य मानता और दूसरो से नफरत करता था, इस विचार की देशभक्ति की संज्ञा नहीं दी जा सकती ।
hope it helps
markas brainliest