Hindi, asked by khushiaggarwal30, 4 months ago

one minute speech on moral values in hindi?
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Answered by Anonymous
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नैतिक मूल्य वे अच्छे मूल्य हैं जो हमारे माता-पिता और शिक्षकों द्वारा हमें सिखाए जाते हैं। इनमें ईमानदार और दयालु होना, दूसरों के प्रति सम्मान दिखाना, ज़रूरतमंद लोगों की मदद करना, दूसरों के प्रति वफादार होना और दूसरों के साथ कुछ नाम रखने में सहयोग करना शामिल है। अच्छे नैतिक मूल्यों का पालन करना एक व्यक्ति को एक अच्छा इंसान बनाता है। एक व्यक्ति जो अपने नैतिक मूल्यों का अनुसरण करता है, उसे एक अच्छा चरित्र वाला व्यक्ति कहा जाता है।

नैतिक मूल्य दया, उदारता, ईमानदारी, दया, निष्ठा, राजनीति, दृढ़ता, आत्म नियंत्रण और सम्मान जैसे अच्छे मूल्य हैं। जिन व्यक्तियों के पास ये गुण होते हैं, उन्हें समाज के लिए एक संपत्ति माना जाता है। वे न केवल एक अनुशासन जीवन जीते हैं, बल्कि अपने आस-पास के लोगों में भी सर्वश्रेष्ठ लाने में मदद करते हैं। काम के प्रति उनका समर्पण, आत्म नियंत्रण की भावना और मदद करने की प्रकृति को सभी ने सराहा है।

हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा एक अच्छा नैतिक चरित्र धारण करे। भारत में कई परिवार विशेष रूप से सख्त हैं जब नैतिक मूल्यों की बात आती है। वे इसके महत्व पर जोर देते हैं और अपने बच्चों को कम उम्र से ही विकसित करने में मदद करने की कोशिश करते हैं। हालाँकि, समय के साथ समाज में नैतिक मूल्य कम होते जा रहे हैं।

नैतिक मूल्यों की बात करते समय विचारों के दो स्कूल होते हैं। एक के अनुसार, एक व्यक्ति को अपनी खुशी की कीमत पर भी अच्छे नैतिक मूल्यों को धारण करना चाहिए। दूसरी ओर एक के अनुसार एक व्यक्ति को स्वयं के साथ बहुत सख्त नहीं होना चाहिए और अगर वे तनाव का कारण बन जाते हैं तो नैतिक मूल्यों को कुछ हद तक बदल दिया जा सकता है। इन दिनों युवाओं में नैतिक मूल्यों को महत्व देने के बजाय खुशी पाने की ओर अधिक झुकाव है। इसे पश्चिमी संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

#BangtanIndia

Answered by IINiRII
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मानव को सामाजिक प्राणी होने के नाते कुछ सामाजिक मर्यादाओं का पालन करना पड़ता है । समाज की इन मर्यादाओं में सत्य, अहिंसा, परोपकार, विनम्रता एवं सच्चरित्र आदि अनेक गुण होते हैं ।

इन गुणों को यदि हम सामूहिक रूप से एक नाम देना चाहे तो ये सब सदाचार के अन्तर्गत आ जाते है । सदाचार एक ऐसा व्यापक शब्द है जिसमें समाज को लगभग सभी मर्यादाओं का पालन हो जाता है । अत: सामाजिक व्यवस्था के लिए सदाचार का सर्वाधिक महत्त्व है ।

सदाचार शब्द यौगिक है, दो शब्दों से मिलकर बना है – सत् + आचार जिसका भावार्थ है उत्तम आचरण अर्थात जीवन यापन की वह पद्धति जिसमें सत का समन्वय है, जिसमें कहीं भी ऐसा न हो जो असत् कहा जा सके । सदाचार संसार का सर्वोत्कृष्ट पदार्थ है । विद्या, कला, कविता, धन अथवा राजस्व कोई भी सदाचार की तुलना नहीं कर सकता । सदाचार प्रकाश का अनन्त स्त्रोत है ।

विश्व के समस्त गुण सदाचार से निहित हैं । सदाचार से शरीर स्वस्थ, बुद्धि निर्मल और मन प्रसन्न रहता है । सदाचार हमें मार्ग दिखलाता है । सदाचार आशा और विश्वास का विशाल कोष है । सदाचारी मनुष्य संसार में किसी भी कल्याणकारी वस्तु को प्राप्त कर सकता है ।

सदाचार से ही उत्तम आयु, मनचाही संतान तथा असंचय धन आदि की प्राप्ति होती है । सदाचार के बिना मनुष्य का जीवन खोखला है जिसके कारण वह कभी उन्नति नहीं कर सकता है । चरित्र ही सदाचार व्यक्ति की शक्ति है ।

किसी भी महान से महान कार्य की सिद्धि बिना सदाचार अथवा उत्तम चरित्र के संभव नहीं । जो वास्तविक सफलता सदाचारी प्राप्त कर सकता है उसे दुराचारी मानव कदापि प्राप्त नहीं कर सकता है । सदाचार का पालन न करने वाला व्यक्ति समाज में घृणित माना जाता है । दुराचारी पुरुष की संसार में निन्दा होती है । वह निरन्तर व्याधिग्रस्त एवं रोगासक्त रहता है तथा उसकी आयु भी कम होती है ।

दुराचारी मानव अपना, अपने समाज और अपने राष्ट्र किसी का भी उत्थान नहीं कर सकता है । सदाचार विहीन मनुष्य का जीवन पाप-कर्म में होने के कारण सुख-शान्ति रहित एवं अपमानजनक होता है । ऐसे लोगों को इस लोक में चैन नहीं मिलता तथा परलोक में भी सदगति प्राप्त नहीं होती है ।

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