one minute speech on rahasya
Answers
Answer:
Explanation:
जीवन का रहस्य ?
जीवन क्या है और मनुष्य क्यों जन्म लेता है , क्यों उसकी म्रत्यु होती है और मरने के बाद क्या होता है ? यह सारे प्रशन ऐसे है जिनका कोई सही या गलत उत्तर , मानव शायद अभी तक खोज नहीं पाया है ....
पर कुछ छोटी छोटी बाते जिन्हें हम अपने जीवन में यूँही बोलते या मानते या अपनाते है बिना किसी कारण को जाने या समझे ..जैसे हिचकी आने पे कहना की ...”कोई हमें याद कर रहा है” ..कहने को यह इक सामान्य सी बात है ..पर किसी का याद करना और हिचकी आने में क्या रिश्ता है ?.. इसी विषय की खोज के सन्दर्भ में मेने कुछ अपने तरीके से आगे ब्लॉग में लिखा है ....
अभी कुछ दिन पहले हुई इक घटना ने मुझे जीवन को समझने का इक इशारा दिया ..शायद कुछ लोग इससे इत्तिफाक रखे और शायद कुछ इसे मेरे मन का वहम या कोरी कल्पना भी कह सकते है ....
मुझे नहीं मालुम आप में से कितने लोग अपने आस पास की होने वाली घटना को बड़ी गंभीरता से देखते , परखते और महसूस करते है ...पर कभी कभी मेने महसूस किया की अचानक किसी खुसबू का झोका कंही से आया और चला गया ...कई बार लगा शायद यह इक वहम हो या कोई आसपास से गुजरा हो .....पर हैरानी तब होती जब कोई भी ना तो आसपास होता और ना ही खुसबू का अस्तित्व महसूस होता ??....
ना जाने मेने कितनी बार अपने घर से दूर कभी ट्रेन में . तो कभी बस में तो कभी अपनी कार में बैठे महसूस किया की जैसे ..कोई खाना बना रहा है ..कभी कोई खुसबू या किसी सब्जी या दाल या रोटी की गंध इतनी तीव्र होती की लगता जैसे मैं किसी घर की किचन के पास बैठा हूँ ....
जबकी असलियत में ...मैं इन सबसे दूर कंही रास्ते में किसी ऐसी जगह होता.. जन्हा किसी होटल , ढाबे या किसी भी खाने की चीज का नामोनिशान तक ना होता .....मुझे लगता यह मेरा वहम है ..पर हैरानी तब होती जब मैं घर पहुँचता तो देखता ..मेरे घर में वोही खाना बना है जिसकी गंध मेने अपने घर से बहुत दूर कंही महसूस की थी ....
कैसे और क्यों मुझे उस खाने की गंध इतनी दूर से महसूस हुई ?? यह राज मुझे अंदर से कभी डराता ..तो कभी उत्तेजित करता ...आखिर क्या राज है इन सबके पीछे ??....वक़्त के साथ मेने इन सबकी जैसे जैसे आदत डाल ली थी ...की इसका रहस्य कभी नहीं सुलझेगा .... आखिर यह बाते आप किसी भी आम या नार्मल इंसान को कैसे समझायेंगे?...वोह तो यही समझेगा की आप किसी वहम या बीमारी से ग्रसित तो नहीं ?....कंही आपका मानसिक संतुलन तो नहीं गड़बड़ा गया है ?
इक दिन रात में सोते वक़्त अचानक मुझे फिर इक खुशबु का अंदेशा हुआ ..मेरी हालत उन दिनों अजीब सी थी अलेर्जी की वजह से मेरी नाक अक्सर बंद रहती और मुझे कुछ भी सूंघने पर समझ नहीं आता था .. ..जब तक वोह वस्तु मेरी नाक के काफी नजदीक ना हो ....पर इस वक़्त ना तो मेरी नाक बंद थी ..ना ही मै किसी नशे में ग्रस्त था और न ही मै सोया हुआ था ...मुझे बहुत जोर से लघु शंका हुई और मै अपने बाथरूम की तरफ चला गया .....
लघु शंका से निपटने के बाद जैसे ही मैं बिस्तर पे लेटा तो मुझे ऐसा अहसास हुआ की घर में कोई कड़ाही में घी गर्म कर रहा है और घी की खुशबु पुरे घर में फैली है ...मेने घडी को देखा तो रात के 3.30 बजे थे और घर के सब लोग गहरी निंद्रा में सोये हुए थे ....
घर में मैं , मेरा छोटा लड़का और बीवी थी ..उनके कमरों से खर्राटो की आवज आ रही थी और पुरे घर में गुप्प अँधेरा था ...फिर इस वक़्त घी की खुशबु कंहा से आ रही थी?? .. अडूस पडूस के घर इतनी दुरी पे थे ..की वंहा से किसी भी तरह की सुगंध का आना सम्भव नाथा .और ना ही कोई आस पास ऐसा घर था जंहा देसी घी खाया जाता हो ....मतलब मेरे घर के आस पास अधिकतर घर चीनी , अमेरिकन ,जर्मन और वियतनामिज आदि लोगो के है ...
खेर उस खुसबू का रहस्य भी अगले दिन खुल गया ...जब मेने अपनी माँ को भारत में फोन किया... जो की मेरे वर्तमान घर (अमेरिका) से हजारो मील दूर है ....मेरी माँ ने बताय की उन लोगो ने घर (भारत ) में किसी मेहमान के आने पे घर में देसी घी की पुड़ी उसी ठीक वक़्त बनाइ गई थी ...जिस वक़्त मुझे अमेरिका में रात को खुसबू आई थी ....पर यह रहस्य अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया जिसने मुझे मजबूर किया की मै जीवन के रहस्य को समझू ....मेने इसकी परिकल्पना और विवेचना अपने मानसिक स्तर के अनुसार इक वैज्ञानिक धरातल पर की? ....
मुझे अधि रात को खुशबु का आभास कैसे हुआ और उसका क्या कारण है? उसे समझाने से पहले मुझे ..कई चीजे आप लोगो को समझानी होगी ..जिसे समझने के बाद ..शायद आप मेरी बात समझ पाए ...मै जो भी लिखने जा रहा हूँ ..वोह सब मेरी सोच है .... मेने इस बारे में ना तो कंही इसे पढ़ा और ना ही किसी से इसे समझा .... बस जो मेरे दिल ने कहा मै उसे शब्दों में पिरो भर रहा हूँ .... मेरे लिखे हुए तर्क या विवेचना कितनी सही या गलत है मुझे नहीं पता ....और मै यह भी बड़े विश्वास के साथ नहीं कह सकता ...की ..इनका कोई वैज्ञानिक पहलु किसी ने अभी तक खोजा भी है या नहीं ?.....
जैसा की हम सब जानते और मानते है ...की ... मानव शरीर में कई इन्द्रियां है जैसे नाक , कान ,मुंह , मस्तिष्क ,आँखे ,हर्दय इन छह इन्द्रियों को सब जानते है ....पर साथ में सोचने वाली बात यह है ....की अगर सारी इन्द्रिया इक साथ सक्रिय होती है ..क्या तब कोई इंद्री जगती है ..अगर हाँ तो वह कौनसी इंद्री है ?....मेने उसे कामवासना कहा है ....पर इसे अध्यात्मिक भाषा में हम आत्मज्ञान या हायर सेल्फ से रिश्ता या ज्ञानोदय (एनलाइटनमेंट) भी कह सकते है .....मेरे अनुभव के अनुसार मानव केवल सम्भोग के वक़्त इतना भाव शून्य होता है ....की उसे सिर्फ सम्भोग के सिवा और कुछ ना दीखता है ..न सूझता है और ना वोह कुछ जानना चाहता ....सम्भोग के वक़्त सक्रीय इंद्री ..इक प्रचंड उर्जा का संचालन करती है ...या इसे ऐसे भी कह सकते है ...की उस वक़्त जगी इंद्री में प्रचंड उर्जा होती है ...
Answer:
अभी कुछ दिन पहले हुई इक घटना ने मुझे जीवन को समझने का इक इशारा दिया ..शायद कुछ लोग इससे इत्तिफाक रखे और शायद कुछ इसे मेरे मन का वहम या कोरी कल्पना भी कह सकते है ....
मुझे नहीं मालुम आप में से कितने लोग अपने आस पास की होने वाली घटना को बड़ी गंभीरता से देखते , परखते और महसूस करते है ...पर कभी कभी मेने महसूस किया की अचानक किसी खुसबू का झोका कंही से आया और चला गया ...कई बार लगा शायद यह इक वहम हो या कोई आसपास से गुजरा हो .....पर हैरानी तब होती जब कोई भी ना तो आसपास होता और ना ही खुसबू का अस्तित्व महसूस होता ??....
ना जाने मेने कितनी बार अपने घर से दूर कभी ट्रेन में . तो कभी बस में तो कभी अपनी कार में बैठे महसूस किया की जैसे ..कोई खाना बना रहा है ..कभी कोई खुसबू या किसी सब्जी या दाल या रोटी की गंध इतनी तीव्र होती की लगता जैसे मैं किसी घर की किचन के पास बैठा हूँ ....
जबकी असलियत में ...मैं इन सबसे दूर कंही रास्ते में किसी ऐसी जगह होता.. जन्हा किसी होटल , ढाबे या किसी भी खाने की चीज का नामोनिशान तक ना होता .....मुझे लगता यह मेरा वहम है ..पर हैरानी तब होती जब मैं घर पहुँचता तो देखता ..मेरे घर में वोही खाना बना है जिसकी गंध मेने अपने घर से बहुत दूर कंही महसूस की थी ....
कैसे और क्यों मुझे उस खाने की गंध इतनी दूर से महसूस हुई ?? यह राज मुझे अंदर से कभी डराता ..तो कभी उत्तेजित करता ...आखिर क्या राज है इन सबके पीछे ??....वक़्त के साथ मेने इन सबकी जैसे जैसे आदत डाल ली थी ...की इसका रहस्य कभी नहीं सुलझेगा .... आखिर यह बाते आप किसी भी आम या नार्मल इंसान को कैसे समझायेंगे?...वोह तो यही समझेगा की आप किसी वहम या बीमारी से ग्रसित तो नहीं ?....कंही आपका मानसिक संतुलन तो नहीं गड़बड़ा गया है ?
इक दिन रात में सोते वक़्त अचानक मुझे फिर इक खुशबु का अंदेशा हुआ ..मेरी हालत उन दिनों अजीब सी थी अलेर्जी की वजह से मेरी नाक अक्सर बंद रहती और मुझे कुछ भी सूंघने पर समझ नहीं आता था .. ..जब तक वोह वस्तु मेरी नाक के काफी नजदीक ना हो ....पर इस वक़्त ना तो मेरी नाक बंद थी ..ना ही मै किसी नशे में ग्रस्त था और न ही मै सोया हुआ था ...मुझे बहुत जोर से लघु शंका हुई और मै अपने बाथरूम की तरफ चला गया .....
mujhe follow karo
please follow me