Hindi, asked by harshitaagarwal1234, 22 hours ago

online Pariksha Mein vidyarthiyon ki nakal karne ki prabhavit badhti ja rahi hai aise safalta Kitni Kargar is Vishay per aap ne vichar prakat kijiye in hindi 250 words pls fast it's urgent​

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Answered by BrainlyJossh
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\Huge{\textbf{\textsf{{\color{Magenta}{⛄A}}{\red{n}}{\purple{s}}{\pink{w}}{\blue{e}}{\green{r}}{\red{}}{\purple{⛄}}{\color{pink}{:}}}}} \

हर वर्ष करोड़ों की संख्या में विद्यार्थी बोर्ड की परीक्षा देते हैं। स्कूलों व् कोलेजों में बहुत प्रकार की परीक्षाएं आयोजित करवाई जाती हैं। अगर किसी अच्छे स्कूल या कॉलेज में दाखिला लेना हो तो परीक्षा देनी पडती है, किसी प्रकार की नौकरी प्राप्त करनी हो तो परीक्षा देनी पडती है, किसी कोर्स का दाखिला लेना हो तो परीक्षा देनी पडती है।

परीक्षाओं के अनेक रूप होते हैं। लेकिन हम केवल एक ही परीक्षा से परिचित हैं जो कि लिखित रूप से कुछ प्रश्नों के उत्तर देने से पूरी होती है। खुदा ने अब्राहम की परीक्षा ली थी। परीक्षा के नाम से फरिश्ते घबराते हैं पर मनुष्य को बार-बार परीक्षा देनी पडती है।

जिस प्रकार राम भक्त हनुमान को राम का ही सहारा रहता था उसी तरह कुछ बच्चों को बस नकल का ही सहारा रहता है। पहले समय में बच्चों को नकल करने के लिए कला का सहारा लेना पड़ता था लेकिन आजकल तो अध्यापक ही बच्चों को नकल करवाने के लिए चारों तरफ फिरते रहते हैं।

नकल करना और करवाना अब एक पैसा कमाने का माध्यम बन गया है। अगर नकल करवानी है तो माता-पिता के पास धन होना जरूरी हो गया है। कुछ विद्यार्थी दूसरों के लिए आज भी नकल करवाने और चिट बनाने का काम करते रहते हैं। बहुत से विद्यार्थी तो ब्लू-टूथ और एस० एम० एस० के द्वारा भी नकल करते रहते हैं। बच्चों के मूल्यांकन में भी बहुत गडबडी होने लगी है।

कोई भी परीक्षा प्रणाली विद्यार्थी के चरित्र के गुणों का मूल्यांकन नहीं करती है। जो लोग चोरी करते हैं हत्याएँ करते हैं वे भी जेलों में बैठकर परीक्षा देते और प्रथम श्रेणी प्राप्त करते हैं। जो परीक्षा प्रणाली केवल कंठस्थ करने पर जोर देती है वो विद्यार्थियों की योग्यता का मूल्यांकन नहीं कर सकती। सतत चलने वाली परीक्षा प्रणाली की स्कूलों और कॉलेजों में विकसित होने की जरूरत है। विद्यार्थी के ज्ञान, गुण और क्षमता का भी मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

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