Oocch shiksha ki mahatvata per sampadkiya likhiye 300 shabd me
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उच्च शिक्षा पर सम्पादकीय
नदियों के जल का पवित्र रहने का कारण उसकी गति है गति पवित्र और स्वच्छ रखती है और जीवंतता का परिचायक भी है। हमारे शास्त्रों में ज्ञान को नेत्र की संज्ञा दी गई है नेत्र से तात्पर्य केवल देखने से नहीं होता बल्कि जीवन जीने की कला एवं वस्तुओं को देखने की दृष्टि ज्ञान की परिधि में समाहित है |
आज वैश्वीकरण के युग में उच्च शिक्षा की मांग बढ़ी है प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को सफल बनाने की होड़ में रात दिन लगा है इसी के चलते अभिभावक भी अपने बालक का मानस इसी तरह तैयार करवाते हैं कि उसे बड़े होकर फलां--फलां क्षेत्र में नाम कमाना है | बालक भी माध्यमिक स्तर तक आते-आते अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाकर शिक्षा प्राप्त करने में जुट जाता है वह जानता है कि अच्छे रोजगार तभी सुलभ होंगे जब आप उच्च शिक्षित होंगे और इसके लिए शिक्षाप्रणाली के परिवर्तन को स्वीकार करना होंगा | नए नए आयामों के द्वारा उच्च शिक्षा ने जन समुदाय को अपनी और आकर्षित किया है विकास की सतत कामना, जीवनशैली में आधुनिक मशीनी साधनों का बढ़ता स्तर तथा भौतिकता का जीवन में अधिकाधिक समावेश कुछ ऐसे पहलू हैं जिसने जनसमुदाय को उच्च शिक्षा की ओर धकेला है उसे यह विचार दिया है की यदि उसे समाज में प्रतिष्ठा पानी है तो आर्थिक संपन्नता के द्वारा समाज में स्थान बनाना होगा यह सभी कुछ उच्च शिक्षा द्वारा ही संभव हो सकेगा यही कारण है की आज प्रत्येक विद्यार्थी मासिक नहीं अपितु सालाना आय पर अपनी नजरें टिकाए हुए हैं जिसे ‘’पैकेज’’ कहकर संबोधित किया जाता है | तकनीक के साथ साथ इंफ्रास्ट्रक्चर के साधनों की विश्वविद्यालयों में भरमार है इसी के आधार पर विद्यार्थीगण वहां प्रवेश लेते हैं और अपनी शिक्षा पूरी करते हैं | पहले शिक्षक विद्यार्थियों के लिए गरिमा का विषय होते थे किंतु अब बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों ने अपनी उच्च शिक्षा नीतियों के द्वारा विद्यार्थी समुदाय को अपनी और खींचा है | समय के साथ कदमताल मिलाकर चलने के लिए उच्च शिक्षा का महत्व स्वीकार करना केवल उपयुक्त नहीं अपितु अवश्यम्भावी भी है |
नदियों के जल का पवित्र रहने का कारण उसकी गति है गति पवित्र और स्वच्छ रखती है और जीवंतता का परिचायक भी है। हमारे शास्त्रों में ज्ञान को नेत्र की संज्ञा दी गई है नेत्र से तात्पर्य केवल देखने से नहीं होता बल्कि जीवन जीने की कला एवं वस्तुओं को देखने की दृष्टि ज्ञान की परिधि में समाहित है |
आज वैश्वीकरण के युग में उच्च शिक्षा की मांग बढ़ी है प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को सफल बनाने की होड़ में रात दिन लगा है इसी के चलते अभिभावक भी अपने बालक का मानस इसी तरह तैयार करवाते हैं कि उसे बड़े होकर फलां--फलां क्षेत्र में नाम कमाना है | बालक भी माध्यमिक स्तर तक आते-आते अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाकर शिक्षा प्राप्त करने में जुट जाता है वह जानता है कि अच्छे रोजगार तभी सुलभ होंगे जब आप उच्च शिक्षित होंगे और इसके लिए शिक्षाप्रणाली के परिवर्तन को स्वीकार करना होंगा | नए नए आयामों के द्वारा उच्च शिक्षा ने जन समुदाय को अपनी और आकर्षित किया है विकास की सतत कामना, जीवनशैली में आधुनिक मशीनी साधनों का बढ़ता स्तर तथा भौतिकता का जीवन में अधिकाधिक समावेश कुछ ऐसे पहलू हैं जिसने जनसमुदाय को उच्च शिक्षा की ओर धकेला है उसे यह विचार दिया है की यदि उसे समाज में प्रतिष्ठा पानी है तो आर्थिक संपन्नता के द्वारा समाज में स्थान बनाना होगा यह सभी कुछ उच्च शिक्षा द्वारा ही संभव हो सकेगा यही कारण है की आज प्रत्येक विद्यार्थी मासिक नहीं अपितु सालाना आय पर अपनी नजरें टिकाए हुए हैं जिसे ‘’पैकेज’’ कहकर संबोधित किया जाता है | तकनीक के साथ साथ इंफ्रास्ट्रक्चर के साधनों की विश्वविद्यालयों में भरमार है इसी के आधार पर विद्यार्थीगण वहां प्रवेश लेते हैं और अपनी शिक्षा पूरी करते हैं | पहले शिक्षक विद्यार्थियों के लिए गरिमा का विषय होते थे किंतु अब बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों ने अपनी उच्च शिक्षा नीतियों के द्वारा विद्यार्थी समुदाय को अपनी और खींचा है | समय के साथ कदमताल मिलाकर चलने के लिए उच्च शिक्षा का महत्व स्वीकार करना केवल उपयुक्त नहीं अपितु अवश्यम्भावी भी है |
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