ओर्स्टेड के प्रयोग में चुम्बकीय सूई के विचलन की दिशा किन-किन बातों पर निर्भर करती है?
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ओर्स्टेड नामक वैज्ञानिक ने सन 1920 में विद्युत धारा से संबंधित एक प्रयोग किया।
इस प्रयोग में उन्होंने चुंबकीय सुई या कंपास का प्रयोग किया।
किसी चालक तार में धारा प्रवाहित करने पर उसमें क्या प्रभाव पड़ता है इसका अध्ययन करने के लिए उन्होंने इस प्रयोग को किया।
इस प्रयोग के बाद उन्होंने सिद्ध किया कि चालक तार में गतिमान आवेश के कारण उसके चारों तरफ एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
चुंबकीय सुई उसमें बहने वाली धारा पर निर्भर करती है। यदि धारा बहती है तो चुंबकीय सुई में विक्षेप होता है वही विपरीत खुले परिपथ में यह नहीं होता।
चुंबकीय सुई में विक्षेप की मात्रा धारा की मात्रा के समानुपाती होती है।
चुंबकीय सुई का विक्षेप की दिशा धारा की दिशा पर निर्भर करती है।
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