औंगज़ेब की आखिरी रात का उद्देश्य क्या है
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Explanation:
औरंगजेब की आखिरी रात एकांकी का उद्देश्य samiksha -
लेखक ने इस एकांकी के माध्यम से मानव जीवन के दुर्बल पक्ष का उद्घाटन किया है . मानव की सबसे बड़ी दुर्बलता उसकी महत्व कांक्षा है। इसके वशीभूत होकर औरंगजेब शक्ति के मद से मदांध व्यक्ति औरंगजेब बन जाता है। मृत्यु के पूर्व व्यक्ति की आत्मा निर्मल हो जाती है।
उत्तर:
इस एकांकी के माध्यम से औरंगजेब के अंत में निहित कथाओं के मनोवैज्ञानिक चित्रण डॉ वर्मा ने प्रस्तुत किया है कि जीवन में उन्माद में प्रवाहित होकर किया जाने वाला कुकर्म या सत्कर्म अपना प्रभाव अवश्य दिखाता है|
स्पष्टीकरण:
औरंगजेब जब मरा तो सारी जिन्दगी का क्लेष और निराशा, विकलता और व्यथा को लेकर गया ! जिन्दगी के पूरे सत्ताईस साल उसने दक्खन में बिताये और अंतिम साँस भी वहीं पर ली । दक्षिण सर करने की, शिवाजी और मरहठों को नेस्तनाबूद करने की, इस्लाम का झण्डा पूरे हिन्दोस्ताँ पर फहराने की वासना पूरी किये बिना ही वह चल बसा ।
प्रस्तुत एकांकी में उसकी इसी विकलता का चित्रण किया गया है। वह इतना कट्टर धार्मिक था कि उसने बीजापुर-गोलकुण्डा जैसी मुस्लिम रियासतों को भी जीत लिया, परन्तु वह मराठों को नामशेष करने में सफल न हुआ।
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