ओउम् नाम का महत्व स्पष्ट कीजिए। class 8th
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ॐ की सार्थकता को व्यक्त करने से पूर्व इसके अर्थ का बोध होना अत्यंत आवश्यक है. ॐ की ध्वनि संपूर्ण ब्रह्माण्ड में व्याप्त है जो जीवन की शक्ति है जिसके होने से शब्द को शक्ति प्राप्त होती है यही 'ॐ का रूप है.
ॐ का उच्चारण तीन ध्वनियों से मिलकर बना यह है इन ध्वनियों का अर्थ वेदों में व्यक्त किया गया है जिसके अनुसार इसका उच्चारण किया जाता है. ध्यान साधना करने के लिए इस शब्द को उपयोग में लाया जाता है.
सर्वत्र व्याप्त इस ध्वनि को ईश्वर के समानार्थ माना गया है यही उस निराकार अंतहीन में व्याप्त है. ॐ को जानने का अर्थ है ईश्वर को जान लेना. समस्त वेद ॐ के महत्व की व्याख्या करते हैं. अनेक विचारधाराओं में ॐ की प्रतिष्ठा को सिद्ध किया गया है.
परमात्मा की स्तुति सृष्टि, स्थिति और प्रलय का संपादन इसी ॐ में निहीत है. सत् चित् आनंद की अनुभूति भी इसी के द्वारा संभव है. समस्त वैदिक मंत्रों का उच्चारण ॐ द्वारा ही संपन्न होता है. वेदों की ऋचाएं, श्रुतियां ॐ के उच्चारण के बिना अधूरी हैं. भौतिक, दैविक और आध्यात्मिक शांति का सूचक मंत्र है यह ॐ. '
प्राण तत्व का उल्लेख करते हुए ॐ की ध्वनियों के साथ प्राण के सम्बन्ध को दर्शाया जाता है.
ॐ को अपनाकर ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है. साधना तपस्या के द्वारा ॐ का चिन्तन करके व्यक्ति अपने सहस्त्रो पापों से मुक्त हो जाता है तथा मोक्ष को प्राप्त करता है. इसे प्रणव मंत्र भी कहा जाता है. यह ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि है और संपूर्ण ब्रह्मांड में यह अनवरत जारी है इसका न आरंभ है न अंत. तपस्वी और साधक सभी इसी को अपनाते हुए प्रभु की भक्ति में स्वयं को मग्न कर पाते हैं. जो भी ॐ का उच्चारण करता रहता है उसके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है. ऊँ शब्द अ, उ, म इन तीनों ध्वनियों से मिलकर बना है जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी कहा जाता है.