Social Sciences, asked by sunnykryadav71432, 5 months ago

औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों के बीच अंतर​

Answers

Answered by deepesh8888
1

Answer:मुद्रा और साख हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत है? (i) अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भरता को कम करने के लिए क्योंकि इनमे में उच्च ब्याज दर होती है और कर्ज़दार को ज्यादा लाभ नहीं मिलता है। ... जिस व्यक्ति के पास मुद्रा है, वह इसका विनिमय किसी भी वस्तु या सेवा खरीदने के लिए आसानी से कर सकता है।

Explanation:

Answered by Anonymous
6

Answer:

question:⤵️

ऋण के औपचारिक और अनौपचारिक स्त्रोतों के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए

Answer:⤵️

★ऋण के औपचारिक स्रोत :

(i) ये सरकार द्वारा पंजीकृत होते है जैसे बैंक और सहकारी समितियाँ।

(ii) इनका ब्याज दर निश्चित होती है। (iii) औपचारिक ऋण के स्रोतों से ऋण लेने पर शोषणनहीं होता है।

(iv) इसकी निगरानी RBI करती है और इनका उद्देश्य सामाजिक कल्याण के लिए ऋण प्रदान करना है |

★ऋण के अनौपचारिक स्रोत :

(i) ये सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं होते है जैसे - साहूकार, व्यापारी और रिश्तेदार आदि |

(ii) इनका ब्याज दर निश्चित नहीं होता है | (ii) अनौपचारिक ऋण के स्रोतों से ऋण लेने पर शोषणहोता है ।

(iv) इनकी निगरानी RBI नहीं करती है और इनका उद्देश्य केवल लाभ कमाने के लिए होता है |

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