Hindi, asked by sagar242, 1 year ago

औपचारिक पत्र की विशेषताएं 350शब्दों में ढाई

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Answered by mantasakasmani
40
प्रभावशाली पत्र लेखन एक कला है, जो दूसरों को प्रभावित ही नहीं करती है, अपितु उद्देश्य-पूर्ति में भी सहायक होती है। पत्र की विषय-वस्तु, भाषा तथा शैली, लेखक की योग्यता, मनःस्थिति, वैचारिकता एवं संवेदनात्मकता को प्रकट करती है। अवसर के अनुकूल ही पत्रों का स्वरूप, भाषा और विषय निर्धारित होते हैं। अतः पत्र व्यक्तित्व की अभिव्यंजना करने में समर्थ होते हैं।

पत्रों के प्रकार- पत्रों को विषय वस्तु एवं शैली के आधार पर दो वर्गों में वर्गीकृत कर सकते हैं:

1)औपचारिक पत्र (Formal Letter)
2)अनौपचारिक पत्र (Informal Letter)

औपचारिक पत्र :-

सरकारी, अर्धसरकारी और गैर-सरकारी संदर्भों में औपचारिक स्तर पर भेजे जाने वाले पत्रों को औपचारिक पत्र कहते हैं। इनमें व्यावसायिक, कार्यालयी और सामान्य जीवन-व्यवहार के संदर्भ में लिखे जाने वाले पत्रों (patra lekhan) को शामिल किया जा सकता है। इन पत्रों में संक्षिप्तता, स्पस्टता और स्वतःपूर्णता की अपेक्षा रहती हैं औपचारिक पत्रों के अंतर्गत दो प्रकार के पत्र आते हैं-
(क) सरकारी, अर्धसरकारी और व्यावसायिक संदर्भों में लिखे जाने वाले पत्र - इनकी विषयवस्तु प्रशासन, कार्यालय और करोबार से संबंधित होती है। इनकी भाषा-शैली निश्चित सांचे में ढली होती है और प्रारूप निश्चित होता है। सरकारी कार्यालयों, बैंकों और व्यावसायिक संस्थाओं द्वारा किया जाने वाला पत्र व्यवहार इस वर्ग के अंतर्गत आता है। विभिन्न पदों के लिए लिखे गए आवेदन पत्र भी इसी श्रेणी में आते हैं।

(ख) सामान्य जीवन व्यवहार तथा अन्य विशिष्ट संदर्भों में लिखे जाने वाले पत्र - ये पत्र परिचित एवं अपरिचित व्यक्तियों को तथा विविध क्षेत्रों से संबद्ध अधिकारियों को लिखे जाते हैं। इनकी विषयवस्तु सामान्य जीवन की विभिन्न स्थितियों से संबद्ध होती है। ये प्रायः सामान्य और औपचारिक भाषा-शैली में लिखे जाते हैं। इनके प्रारूप में प्रायः स्थिति और संदर्भ के अनुसार परिवर्तन हो सकता है। इनके अंतर्गत शुभकामना-पत्र, बधाई-पत्र, निमंत्रण-पत्र, शोक-संवेदना पत्र, पूछताछ पत्र, शिकायती पत्र, समस्यामूलक पत्र, संपादक को पत्र आदि आते हैं।

sagar242: रचना कौशल के प्रमुख पक्षों का विवेचन hindi sub
Answered by AbsorbingMan
10

परीक्षा भवन,  

परीक्षा केन्द्र।  

दिनांक …......  

सेवा में, …............................ ….

......................... ….....................  

....... …...........................  

विषय: .......................................................।  

श्रीमान जी, .................................................................................................................... .................................................................................................................... .................................................................................................................... ................................................................................................................... .................................................................................................................... ..................................................................................................................... ......................................................................................................................  ................................................................।  

धन्यवाद,  

आपका आज्ञाकारी शिष्य,  

नाम: …............  

कक्षा: ..............

NOTE - अनौपचारिक पत्र लेखन में

  • शीर्ष भाग में पता, दिनांक, संबोधन और प्रशस्ति आते हैं !
  • मध्य भाग में संदेश व कथा का विवरण होता है!  
  • अंतिम भाग आभार सूचक वाक्य जैसे आप का, प्रणाम, धन्यवाद आदि का प्रयोग किया जाता है !
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