औपचारिक तथा अनौपचारिक पत्र लेखन में क्या-क्या अंतर होता है
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औपचारिक तथा अनौपचारिक पत्र लेखन में क्या-क्या अंतर होता है
'पत्र' का शाब्दिक अर्थ हैं, 'ऐसा कागज जिस पर कोई बात लिखी अथवा छपी हो'। पत्र के द्वारा व्यक्ति अपनी बातों को दूसरों तक लिखकर पहुँचाता है।
व्याख्या :
औपचारिक पत्र उन लोगों को लिखा जाता हैं जिनसे हमारा कोई निजी वास्ता नहीं होता । इस प्रकार के पत्रों का प्रयोग कार्यालयों व सरकारी काम - काजों में होता है।
औपचारिक पत्र के उदाहरण :
- दुर्घटनाग्रस्त होने पर अवकाश माँगते हुए प्रधानाचार्य जी को प्रार्थना पत्र लिखिए |
- रक्तदान शिविर लगाने की अनुमति हेतु प्रार्थना पत्र।
- डाकपाल को डाकिये कि शिकायत करते हुए पत्र|
अनौपचारिक पत्र उन लोगों को लिखा जाता है जिनसे हमारा कोई निजी वास्ता होता है। यह पत्र हम अपने दोस्तों , रिश्तेदारों को लिखते है |
अनौपचारिक पत्र के उदाहरण :
- मित्र के पिताजी का निधन संवेदना पत्र |
- होली की शुभकामनाएँ देते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।
- अपने मित्र को पत्र लिखकर महानगरी दिल्ली की जीवन शैली के विषय में बताइए।
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