Social Sciences, asked by PragyaTbia, 11 months ago

औपनिवेशिक काल के वन प्रबंधन में आए परिवर्तनों ने इन समूहों को कैसे प्रभावित किया :• झूम खेती करने वालों को • घुमंतू और चरवाहा समुदायों को• लकड़ी और वन-उत्पादों का व्यापार करने वाली कंपनियों को• बागान मालिकों को• शिकार खेलने वाले राजाओं और अंग्रेज़ अफ़सरों को

Answers

Answered by nikitasingh79
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उत्तर :  

औपनिवेशिक काल के वन प्रबंधन में आए परिवर्तनों ने इन समूहों को कैसे प्रभावित किया :

• झूम खेती करने वालों को :

औपनिवेशिक शासकों ने झूम खेती पर रोक लगा दी। इस प्रकार झूम की खेती करने वाले जन समुदायों को उनके घरों से ज़बरदस्ती  हटा दिया दिया। जिसके परिणाम स्वरूप कुछ किसानों को अपना व्यवसाय बदलना पड़ा और कुछ ने इसके विरोध में विद्रोह कर दिया।

• घुमंतू और चरवाहा समुदायों को :  

वन प्रबंध के नए कानून बनने से स्थानीय लोगों द्वारा वनों में पशु चराने तथा शिकार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। फल स्वरूप कई घुमंतू तथा चारवाहा समुदायों की रोटी छिन गई। ऐसा मुख्यतः मद्रास प्रेसिडेंसी के कोरावा, कराचा तथा येरूंकुला समुदायों के साथ घटित हुआ । विवश होकर उन्हें कारखानों , खानों तथा बागानों में काम करना पड़ा। ऐसे कुछ समुदायों को अपराधी कबीले भी कहा जाने लगा।

• लकड़ी और वन-उत्पादों का व्यापार करने वाली कंपनियों को :  

वनों पर वन विभाग का नियंत्रण स्थापित हो जाने के पश्चात वन उत्पादों के व्यापार को बल मिला। इस कार्य के लिए कई व्यापारिक कंपनी स्थापित हो गई। ये स्थानीय लोगों से महत्वपूर्ण वन उत्पाद खरीद कर उनका निर्यात करने लगी और भारी मुनाफा कमाने लगी। भारत में ब्रिटिश सरकार ने कुछ विशेष क्षेत्रों में इस व्यापार के अधिकार बड़ी-बड़ी यूरोपीय कंपनियों को दे दिए । इस प्रकार वन उत्पादों के व्यापार पर अंग्रेजी सरकार का नियंत्रण स्थापित हो गया।

• बागान मालिकों को :  

ब्रिटेन में चाय, कहवा, रबड़ आदि की बड़ी मांग थी। अतः भारत में इन उत्पादों के बड़े-बड़े बागान लगाए गए। इन बागानों के मालिक मुख्यत: अंग्रेज थे। वे मजदूरों का खूब शोषण करते थे और इन उत्पादों के निर्यात से खूब धन कमाते थे।

• शिकार खेलने वाले राजाओं और अंग्रेज़ अफ़सरों को‌:  

नऐ वन कानूनों द्वारा वनो में शिकार करने पर रोक लगा दी गई। जो कोई भी शिकायत करते पकड़ा जाता था उसे दंड दिया जाता था । परंतु हिंसक जानवरों का शिकार करना अब राजाओं तथा राजकुमारों के लिए खेल बन गया। मुगल काल के कई चित्रों में सम्राटों तथा राजकुमारों को शिकार करते दिखाया गया है।

ब्रिटिश काल में हिंसक जानवरों को शिकार बड़े पैमाने पर होने लगा। इसका कारण यह था कि अंग्रेज अफसर शिकार करना समाज के हित में समझते थे। उनका मानना था कि यह जानवर खेती करने वालों के लिए खतरा उत्पन्न करते हैं। अतः वे अधिक से अधिक बाघों, चीतों तथा भेड़ियों को शिकार करने के लिए पुरस्कार देते थे।फल स्वरुप 1875 - 1925 के बीच पुरस्कार पाने के लिए 80 हजार बाघों, 1 लाख 50 हजार चीतों तथा  2 लाख भेड़ियों का शिकार किया गया। महाराजा सरगुजा ने अकेले 1157 बागो तथा 2000 चीतों को शिकार बनाया। जॉर्ज यूल नामक एक ब्रिटिश शासक ने 400 बाघों का शिकार किया।

आशा है कि उत्तर आपकी मदद करेगा।।।

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