औपनिवेशिक काल में आदिवासी मुखिया ओं के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा
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आप से मेरा निवेदन है जो आपने पहला क्वेश्चन पूछा था उस पर ही मैंने आपको बताया था कि पाठ पढ़कर ही पर है और अगर आपने नहीं देखा है तो आपको से निवेदन करती हूं उसे देख लीजिए और मुझे फोन करिए और महसूस कर दीजिएगा लाइक कर दीजिएगा कमेंट कर दीजिएगा और उस पर मुझे दे दीजिए
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आदिवासी मुखियाओं पर प्रभाव :
विवरण :
- वन आदिवासियों के लिए निवास और भोजन के प्रदाता थे। जब अंग्रेजों ने जंगलों को राज्य की संपत्ति घोषित किया तो आदिवासी समुदायों को नुकसान हुआ।
- वनों को आरक्षित और संरक्षित घोषित किया गया। समस्याएँ तब उत्पन्न हुईं जब आदिवासियों को झूम खेती करने और फल, भोजन और लकड़ियों को इकट्ठा करने की अनुमति नहीं थी।
- आदिवासी प्रमुखों ने अपनी कई प्रशासनिक शक्तियां खो दीं और उन्हें उन नियमों का पालन करना पड़ा जो अंग्रेजों द्वारा बनाए गए थे। उन्हें अंग्रेजों को कर भी देना पड़ता था।
- व्यापारियों और साहूकारों द्वारा उनका शोषण किया जाता था। रेशम व्यापार में शामिल व्यापारियों ने अपने एजेंटों को संथालों के पास भेजा जो कोकून पालते थे। संथालों को एक हजार कोकून के लिए 3-4 रुपये का भुगतान किया गया था। ये कोकून बर्दवान और गया में काफी ऊंचे दामों पर बेचे गए। बिचौलियों को व्यापार से भारी लाभ प्राप्त होता था। इस प्रकार, आदिवासियों ने व्यापारियों को अपने मुख्य शत्रु के रूप में देखना शुरू कर दिया।
- काम की तलाश में अपने घरों से दूर दूर-दराज के स्थानों की यात्रा करने वाले आदिवासियों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्हें बेहद कम वेतन पर भर्ती किया गया और उन्हें अपने घर लौटने से भी रोका गया।
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