औपनिवेशिक काल में आदिवासी मुखियाओ के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा ?
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✰औपनिवेशिक काल में ब्रिटिश शासन के तहत आदिवासी मुखियाओं के कामकाज और अधिकार काफ़ी बदल गए थे।
✰ कई-कई गाँवों पर ज़मीन का मालिकाना तो मिला रहा लेकिन उनकी शासकीय शक्तियाँ छिन गई और उन्हें ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा बनाए गए नियमों को मानने के लिए बाध्य कर दिया।
✰उन्हें अंग्रेज़ों को नज़राना देना पड़ता था और अंग्रेजों के प्रतिनिधि की हैसियत से अपने समूहों को अनुशासन में रखना होता था।
✰ पहले उनके पास जो ताकत थी अब वह नहीं रही।
✰वे परंपरागत कामों को करने से लाचार हो गए।
✰उन्हें गाँवों के एक समूह के अपने भू-स्वामित्व को बरकरार रखने की छूट मिली।
✰वे अपनी भूमि पट्टे पर दे सकते थे।
✰ उन्हें अंग्रेज़ अधिकारियों को भेंट देना पड़ता था। साथ ही, अंग्रेज़ों का नाम पर उन्हें जनजातीय समूहों को अनुशासित रखना पड़ता था।
✰उनके कई सारे प्रशासनिक अधिकार खत्म हो गए तथा उन्हें ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करने के लिए मज़बूर किया गया।
✰ उन्होंने पूर्व में अपने लोगों पर जिस तरह के प्राधिकार के प्रयोग किया था वे सारे प्राधिकार खत्म हो गए। यहाँ तक की वे अपने पारंपरिक रीती- रिवाज़ों को भी पूरा करने में सक्षम नहीं रह गए थे।