oupcharik unopcharik Patra Kise kehte hainPatra Kise kehte hain
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Explanation:
अनौपचारिक। पत्र ....
अनौपचारिक पत्र, हिंदी में पत्र लेखन में ध्यान रखें की जिसको आप पत्र लिख रहे हैं उनसे आपका निजी परिचय है और उनसे व्यक्तिगत संबंध भी हैं ! इस तरह के पत्र लेखन में व्यक्तिगत सुख-दुख का ब्योरा एवं विवरण के साथ व्यक्तिगत संबंध को उल्लेख किया जाता है !
अपने परिवार के लोग मित्र एवं निकट संबंधियों को इस तरह के पत्र लिखे जाते हैं !
पिता के नाम पत्र
मित्र के नाम पत्र
पत्र लेखन नमूना
अनौपचारिक पत्र - पत्र लेखन नमूना
पत्र लेखन प्रारूप (फॉरमैट) पर ध्यान देना आवश्यक है जो आपके पत्र लेखन को बिल्कुल आसान बना देता है ! पत्र के तीन भागों को अलग-अलग रंगों से रेखांकित किया गया है, इस पर ध्यान दें ताकि दूसरा अनौपचारिक पत्र आप आसानी से लिख सकें !
अनौपचारिक पत्र लेखन में
शीर्ष भाग में पता, दिनांक, संबोधन और प्रशस्ति आते हैं !
मध्य भाग में संदेश व कथा का विवरण होता है!
अंतिम भाग आभार सूचक वाक्य जैसे आप का, प्रणाम, धन्यवाद आदि का प्रयोग किया जाता है !
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औपचारिक पत्र..........
औपचारिक पत्र, हिंदी में पत्र लेखन में ध्यान रखें की जिसको आप पत्र लिख रहे हैं उनसे आपका कोई निजी परिचय नहीं है ! यदि आपका व्यक्तिगत लगाव या परिचय भी हो तो लेखन में वह व्यक्त नहीं होना चाहिए ! औपचारिक पत्र लेखन में मुख्यतः संदेश, सूचना एवं तथ्यों का ही अधिक महत्व दिया जाता है !
औपचारिक - स्मृति, अशासकीय, द्रुत पत्र
इस प्रकार के पत्र संस्था के अधिकारी एवं कार्यालय के अधिकारी को लिखा जाता है !
औपचारिक पत्र लेखन में आवेदन / प्रार्थना पत्र, नौकरी के लिए आवेदन पत्र, सरकारी / अर्ध सरकारी संस्थाओं के लिए आवेदन पत्र और संपादक के नाम आवेदन पत्र शामिल है !
प्रधानाचार्य के नाम आवेदन पत्र
व्याकरण पत्र लेखन प्रारूप पर ध्यान देना आवश्यक है जो आपके पत्र लेखन को आसान बना देता है !
औपचारिक पत्र लेखन में
शीर्ष भाग में पत्र-प्रेक्षक का पता बायीं ओर लिखा जाता है तथा पत्र-प्रेषक अपना नाम के नीचे स्वनिर्देशि के बाद लिखते हैं !
मध्य भाग में संदेश का विवरण होता है !
अंतिम भाग आभार सूचक वाक्य जैसे धन्यवाद आदि का प्रयोग किया जाता है !
आशा है कि यह आपकी मदद करेगा......
Answer:
Explanation:
पत्र लेखन
इस दुनिया में एक दूसरे से संपर्क बनाने के लिए आजकल तो अत्याधुनिक उपकरण आ गए हैं लेकिन फिर भी पत्रों का अपना विशेष महत्व है। पत्र लेखन के दो प्रकार होते हैं
औपचारिक पत्र
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अनौपचारिक पत्र
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औपचारिक पत्र-> औपचारिक पत्र में आवेदन पत्र, पदाधिकारियों के नाम पत्र, व्यवसायिक पत्र और संपादक के नाम पत्र आदि होते हैं जिनमें केवल उचित विषय पर ही बात की गई होती है। इन पत्रों में व्यक्तिगत ना होकर व्यवहारिक बातचीत होती है। जैसे किसी समस्या का निवारण हेतु प्रार्थना पत्र, निवेदन प्रार्थना या आज्ञा आदि पत्र होते हैं।
औपचारिक पत्र लिखते समय पत्र की भाषा सरल और रोचक होनी चाहिए बाकी छोटे-छोटे तथा प्रभावशाली होनी चाहिए।केवल प्रसंग की बातें लिखी जाएं| व्यर्थ की आप प्रसांगिक बातें उसमें नहीं आनी चाहिए। कठिन भाषा, लंबे वाक्य और अनावश्यक बातों से पत्र नीरस हो जाता है| पत्र में शुद्ध भाषा और विराम चिन्हों का ध्यान रखना चाहिए| जिन शब्दों की अक्षर योजना या अर्थ के बारे में संदेह हो उन्हें ना लिखें।
औपचारिक पत्र के 8 भाग होते हैं- लिखने का स्थान तथा पता, दिनांक, संबोधन, अभिवादन, पत्र के विषय का आरंभ, विषय, समाप्ति और पत्र लेखक का परिचय।
अनौपचारिक पत्र-> अनौपचारिक पत्र अपने सगे संबंधियों, रिश्तेदारों, मित्रों आदि को लिखे जाते हैं इनमें कोई विशेष नियम नहीं होते हैं इसमें आप आदर सम्मान पूर्वक शुरू कर सकते हैं और अपनी निजी जानकारी या बातें पत्र में लिख सकते हैं।