और जो टेक धरी मन माँहि न छोडि हाँ कोऊ करो बहुतेरौ । धाक यही है युधिष्ठिर की धन-धाम तजौं पै न बोलत फेरो। मातु सहोदर औ सुत नारि जु सत्य बिना तिहिं होय न बेरी हाथी तुरंगम औ वसुधा बस जीवहु धर्म के काज है मेरौ। इसमें कौनसा रस है?
Answers
Answer:
वीर रस
Explanation:
SOLUTION
दी गयी पंक्ति में वीरता का भाव स्पष्ट हो रहा है। यहाँ यह भाव ‘वीर रस’ का बोध करा रहा है। इसका स्थायी भाव उत्साह है। युद्ध या कठिन कार्य करने के लिए जगा उत्साह भाव विभावादि से पुष्ट होकर वीर रस बन जाता हैं। अतः सही विकल्प वीर रस है।
अन्य विकल्प
जहाँ शिशु के प्रति प्रेम, स्त्रेह, दुलार आदि का प्रमुखता से वर्णन किया जाता है वहाँ वात्सल्य रस होता है।
दुष्ट के अत्याचार, अपने अपमान आदि के कारण जाग्रत क्रोध स्थायी भाव का विभावादि मे पुष्ट होकर रौद्र रस रूप में परिपाक होता है।
किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जागे शोक स्थायी भाव का विभावादि से पुष्ट होने पर करूण रस परिपाक होता हैं।
Answer:
श्री कृष्ण सहित पुरे यदुवंशियों के मारे जाने से दुखी पांडव भी परलोक जाने का निश्चय करते है और इस क्रम में पांचो पांडव और द्रोपदी स्वर्ग पहुंचते है। जहां द्रोपदी, भीम, अर्जुन, सहदेव और नकुल शरीर को त्याग कर स्वर्ग पहुंचते है वही युधिष्ठर सशरीर स्वर्ग पहुंचते है।