और काहि माँगिये, को माँगिबो निवारै। अभिमतदातार कौन, दुख-दरिद्र दारै।।1।। धरमधाम राम राम काम-कोटि-रूप रूरो। साहब सब बिधि सुजान, दान-खडग-सूरो।।2।। कुसमय दिन द्वै निसान सबके द्वार बाजै। कुसमय दसरथके ! दानि तैं गरीब निवाजै।।3।। सेवा बिनु गुनबिहीन दीनता सुनाये। जे जे तें निहाल किये फूले फिरत पाये।।4।। तुलसिदास जाचक-रुचि जानि दान दीजै। रामचंद्र चंद्र तू, चकोर मोहिं कीजै।।5।।
Answers
Answered by
0
Answer:
Kavi tulsidas ji ne Kaha hai hai jab koi dukh
Similar questions