Hindi, asked by kamal232006, 4 months ago

और मैं
भाववाचक संज्ञा का परिचय।
मंदिर
ग्वालिन का नाम था हीरा, और उसकी गाय का नाम था कुणी । हीरा का एक महीने का बच्चा था।
गाय की भी एक महीने की बछिया थी। हीरा रायगढ़ के पर्वत पर चढ़कर महाराष्ट्र के राजा को दूध देने जाया
करती थी। राजा, कुणी गाय का दूध पीकर आनन्द मनाता था। बछिया रोती रहती थी। हीरा के मन में बछिया
के लिए किसी भी दिन दया नहीं जागती थी। दूध दुहने के समय कुणी गाय रह-रह कर बछिया को पुकारती
करने
थी। बछिया दौड़कर दूध पीने के लिए आती पर हीरा उसे लौटा
देती। उसे खूटे से बाँधे रखती थी। इस प्रकार बछिया अपनी माँ
पर झ
को नहीं पा सकती थी और दूध के लिए तरसती, बिलखती रहती घड़ि
थी।
2019-20
हीरा का ध्यान उधर कभी जाता ही नहीं था। वह तो सुबह-शाम
दूध दुहकर, उसे बेचने के लिए राजा के किले में चली जाती थी।
रात होने से पहले ही हीरा किले से लौट आती थी। पहले, अपने
बच्चे को दूध पिलाती, थपकियाँ देकर सुला देती फिर बछिया को
पकड़कर कुणी के पास ले जाती। बछिया लपककर अपनी माँ
की गोद में जा पहुँचती, दूध जरा-सा ही पी पाती थी। कुणी
अपनी बछिया के तन को चाटकर सुला दिया करती थी। बछिया
भूखी रह जाती थी और राजा दूध पीकर मौज मनाता था। इसी तरह दिन बीतते रहे।
एक दिन हीरा दूध बेचने के लिए किले में गई । वहाँ दूध का मूल्य चुकाने में राजा के कोषाध्यक्ष ने देर
लगा दी। शाम का घंटा बज गया। किले का फाटक बंद कर दिया गया। हीरा बोली-"द्वार खोलो"।
पहरेदार ने कहा-"आज्ञा नहीं है" हीरा का मन बच्चे के लिए छटपटाने लगा। वह रोकर कहने लगी
"मेरा मुन्ना भूखा है, तुम्हारे पैर पड़ती हूँ, फाटक खोल दो।"
राजा के पत्थर-दिल पहरेदार ने द्वार नहीं खोला। बालक को दूध पिलाने के लिए माँ की छाती फटने
शिक्षण संकेत
से
2019-20​

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Answered by mrxking111
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