Hindi, asked by gururajkr9611, 9 months ago

और राम,
मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम !
अमरों की जननी, तुमको शत-शत बार प्रणाम !
मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम ।
तेरे उर में शायित गांधी,
बुद्ध
मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम ।
हरे-भरे हैं खेत सहाने,
फल-फूलों से युत वन-उपवन,
तेरे अंदर भरा हुआ है
5 खनिजों का कितना व्यापक धन ।
(मुक्त-हस्त तू बाँट रही है
सुख-
-संपत्ति, धन-धाम,
मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम ।
एक हाथ में न्याय-पताका,
ज्ञान-दीप दूसरे हाथ में,
जग का रूप बदल दे, हे माँ,
कोटि-कोटि हम आज साथ में।
गूंज उठे जय-हिंद नाद से
सकल नगर और ग्राम,
मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम । Summary of the poem ​

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Answered by angelsharma48
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Answer:

thanks for summary but I didn't know sanskrit sorry

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