Chemistry, asked by maya129, 10 months ago

औद्योगिक बहिःस्त्राव क्या होता है तथा यह पर्यावरण को किस प्रकार प्रदूषित करता है ?​

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Answered by Anonymous
3

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Explanation:

=> औद्योगिक इकाइयों द्वारा उत्पन्न विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट वायुमण्डल, जल और मृदा को प्रदूषित करते हैं। औद्योगिक अपशिष्ट की श्रेणी उद्योग के प्रकार पर निर्भर करती है। अधिकतर प्रदूषक उद्योगों से निकलने वाले उत्प्रवाहियों से प्राप्त होते हैं, जिनमें कार्बनिक पदार्थ, अकार्बनिक लवण, निलंबित ठोस, उर्वरक आदि उपस्थित होते हैं। ये सभी ऊष्मा, जीवाणु एवं रोगजनकों के रूप में बाहर निकलते हैं। राजस्थान में जहाँ थर्मल पावर प्लांट है जैसे रावतभाटा (कोटा) से निकलने वाले उत्प्रवाही ऊष्मा, भारी धातुएँ, घुलनशील ठोस एवं अकार्बनिक पदार्थ होते हैं। जयपुर, कोटपूतली एवं अन्य स्थानों पर पेपर तथा पल्प उद्योगों द्वारा जो औद्योगिक उत्प्रवाही निकलते हैं वे जल की pH को प्रभावित करते हैं एवं COD, BOD के संतुलन को अनियमित करते हैं। जहाँ रबर उद्योग है वे क्लोराइड निलंबित घुलनशील ठोस उत्प्रवाही के रूप में वातावरण में मिश्रित करते हैं। स्टील उद्योग जो कि भिवाड़ी व अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में उपस्थित है उनसे – अम्ल फीनोल, सायनोजन, लाइमस्टोन, तेलीय पदार्थ, सायनाइड, सायनेट आदि प्रदूषक के रूप में निकलते हैं।

=> ऑयल रिफाइनरीज के द्वारा अम्ल, ऐल्कली, रेजिन्स और पेट्रो ऑयल प्रदूषक के रूप में निकाले जाते हैं। पेस्टीसाइडस जो कि सभी बड़े शहरों के आस – पास पाए जाते हैं उनमें ऐरोमैटिक पदार्थ, अम्ल एवं कार्बनिक द्रव्य होते हैं। राजस्थान के जयपुर, उदयपुर एवं अन्य शहरों में सांश्लेषिक औषधियाँ तथा पूर्ववर्ती अणु बनाए जाते हैं, जिससे कई तरह के प्रदूषक वायुमण्डल, जल तथा मृदा को प्रदूषित कर रहे हैं। राजस्थान के सभी शहरों के औद्योगिक क्षेत्रों में कार्बनिक रसायन उद्योग स्थापित हैं जिनसे कई विषाक्त पदार्थ जैसे – फीनोल, अम्ल एवं क्षार प्रदूषक के रूप में निकलते हैं। जयपुर, उदयपुर, कोटा एवं अन्य शहरों में उर्वरक उद्योगों के द्वारा निकलने वाले अपशिष्टों में अमोनिया, फ्लोराइड्स, कार्बनिक पदार्थ, पोटैशियम, नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस के यौगिक होते हैं। राजस्थान के बहुत से शहरों में स्थापित डेयरी उद्योग अपशिष्ट के रूप में ग्रीसेज, वसाएँ, लेक्टोज, गलनीय ठोस एवं प्रोटीन्स उत्पन्न करते हैं। उदयपुर, राजसमन्द एवं अन्य जिलों में मार्बल उद्योग के कारण उत्पन्न मार्बल स्लरी मृदा तथा पानी का प्रदूषण करती है। भीलवाड़ा एवं अन्य टेक्सटाइल नगरों में रंग, फीनोल, फाइबर आदि का प्रदूषण व्याप्त है।

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Answered by akshika4425
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Answer:

ye ek pradusitn vastu Hoti thi jo prayvaran ko ganda karti thi

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