औद्योगिक क्रांति के समय कृषि क्षेत्र में हुए परिवर्तन के बारे में व्याख्या करें।
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औद्योगिक क्रांति के समय कृषि के क्षेत्र में भी अनेक सुधार हुए थे, क्योंकि कोई भी औद्योगिक क्रांति कृषि के बिना संभव ही नहीं थी। औद्योगिक क्रांति में कच्चे माल की आवश्यकता होती है और कृषि ही कच्चे माल का स्रोत था। इसके लिए औद्योगिक क्रांति के लिए आवश्यक था कि कृषि में मांग के अनुरूप उत्पादन हो सके।
छठवीं शताब्दी तक कृषि के क्षेत्र में परंपरागत उपकरण ही प्रयोग में लाए जाते थे और सामान्य विधि द्वारा ही कृषि की जाती थी। जिससे फसलों के उत्पादन में बहुत अधिक बढ़ोतरी नहीं होती थी। जब औद्योगिक क्रांति आरंभ हुई तो कारखाना प्रणाली का विकास हुआ शहरों की आबादी बढ़ी और अधिक अन्न की आवश्यकता हुई और कारखानो के लिए कपास की मांग बढ़ी क्योंकि औद्योगिक क्रांति में वस्त्र उद्योग सबसे मुख्य उद्योग था।
ऐसे में कृषि की फसल में उत्पादन में बढ़ोतरी की भी आवश्यकता पड़ी। इन परिस्थितियों में कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए उपाय किए जाने लगे और इसी प्रक्रिया में अनेक वैज्ञानिक उपकरणों का आविष्कार हुआ, जिन्होंने कृषि के क्षेत्र में क्रांति ला दी थी।
सबसे पहले यार्कशायर के जमीदार ‘जेथ्रोटल’ ने बीज बोने की मशीन ‘सीड ड्रिल’ का आविष्कार किया, जिससे बीज बोने का कार्य सुगम और सरल हो गया। एक अंग्रेज जमींदार ने 5फसल चक्र’ का सिद्धांत प्रतिपादित किया। जिसके अनुसार फसलों को बारी बारी से बदल-बदल कर बोने से भूमि की उर्वरा शक्ति बरकरार रहती थी। इससे प्रति एकड़ फसल उत्पादन में बढ़ोतरी हो गई। 1770 ईस्वी में रॉबर्ट बैल नामक व्यक्ति ने पशुपालन को एक लाभदायक व्यवसाय के रूप में विकसित किया और उसने भेड़ों और गायों की नस्ल को सुधारने के अनेक प्रयोग किए। वैज्ञानिक प्रजनन पद्धति द्वारा पहले की अपेक्षा की तिगुनी वजन की भेंड़े तैयार करने में सफलता प्राप्त की।
1793 ईस्वी में एक अमेरिकी निवासी ने अनाज से भूसा अलग करने की मशीन का आविष्कार किया। 1834 ईस्वी में साइरस के एच मैककारमिक ने फसल काटने वाली मशीन का आविष्कार किया था।
इस तरह धीरे-धीरे कृषि में आधुनिक यंत्रों का प्रयोग बढ़ता गया और कृषि परंपरागत साधनों से हटकर कृषि का यंत्रीकरण होता गया। इसने कृषि के क्षेत्र में उत्पादन में बढ़ोतरी हुई। इन नए आविष्कारों ने कृषि के क्षेत्र में एक अनोखी क्रांति ला दी थी।