Social Sciences, asked by skhan2188820, 5 months ago

औद्योगिक क्षरण क्या है​

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Answered by adarshpratapsingh367
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Answer:

पर्यावरण प्रदूषण के दृष्टिकोण से किया गया है। गेवरा परियोजना कोरबा कोयला क्षेत्र के पश्चिमी भाग में गेवरा नामक स्थान पर स्थित है जिसकी उत्पादन क्षमता 18 मिलियन टन प्रतिवर्ष कोयला उत्पादन की है। यह एशिया की सबसे बड़ी खुली खदान है, जिसका कुल क्षेत्रफल 2023 हेक्टेयर है।

पर्यावरणीय प्रभाव :-

खुली खदानों के द्वारा भूपटल पर महत्त्वपूर्ण स्थलाकृतिक परिवर्तन होते हैं। खुली खदानों में खनन कार्यों के पश्चात छोड़ी गई निचली भूमि कालान्तर में जल से भरे गड्ढों में परिवर्तित हो जाती है जिसे सम्प (sump) कहा जाता है। खुली खदानों में उत्खनन के परिणामस्वरूप खदानों के ऊपरी भार अथवा अतिभार (overburden) को समीप के खाली स्थानों पर एकत्र कर दिया जाता है, जिससे चारों ओर के प्राकृतिक वन क्षेत्र रेत व शैल के साथ विद्रुप पहाड़ों तथा विनाशपूर्ण स्थलाकृतियों में बदल जाते हैं। भू-अवनयन तथा भूमि उपयोग की एक बड़ी समस्या इन क्षेत्रों में विद्यमान रहती है। इन क्षेत्रों में पड़े ढेर के रूप में ऊपरी भार का क्षरण होता रहता है, जिससे उस क्षेत्र की भूमि तथा वन का स्तर घटने लगता है। खदानों में ऊपरी मिट्टी को सुरक्षित नहीं किया जाता है। ऊपरी मिट्टी एकत्र किये गए बड़े ढेर के शेष भागों में साथ मिल जाती है। गेवरा खदान में ऊपरी भार के अन्तर्गत कुल 300 हेक्टेयर भूमि है इन निक्षेपों की ऊँचाई 9 से 10 मीटर तक है। ऐसी बहुत कम आशा है कि यह भूमि भविष्य में उपयुक्त रूप से सुरक्षित हो पाएगी।

परियोजना द्वारा प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को प्रबन्धन द्वारा उचित मुआवजा दिया गया है। गेवरा परियोजना क्षेत्र में वायु प्रदूषण के कारण कार्यरत श्रमिकों में आँखों में जलन, खुजली तथा ‘न्यूमनोकायसिस’ अर्थात श्वास की बीमारी पाई गई।

वायु प्रदूषण :-

खदानों में वायु प्रदूषण का एक मुख्य कारण विस्फोट है। विस्फोट होने पर अधिक मात्रा में धुआँ उठता है जिससे आस-पास की वायु प्रदूषित होती है। दूसरा मुख्य कारण कोल कटिंग व खुदाई है, जिससे धूल उत्पन्न होती है, फलतः वायु प्रदूषित हो जाती है, जो खदानों में कार्यरत श्रमिकों के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होती है। प्रदूषण का अन्य स्रोत कोयले का परिवहन है। कोयले के एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवहन द्वारा कोयले की धूल वायु को प्रदूषित करती है। उपलब्ध जल छिड़काव करने वाले उपकरण धूल को दबाने में पूर्णतः पर्याप्त नहीं होते विशेषकर ग्रीष्म ऋतु में। फलतः वायु प्रदूषण की समस्या बनी रहती है। (तृतीय पर्यावरणीय वस्तु स्थिति प्रतिवेदन, 1996, 87)

तालिका : 7.2

गेवरा परियोजना वायु गुणवत्ता

गैसीय प्रदूषक तत्व

क्रमांक

क्षेत्र

SPM

SOX

NOX

A

औद्योगिक क्षेत्र

1.

खुसराडीह सब स्टेशन

335.5

20.67

31.84

2.

आँकड़ों के विश्लेषण से स्पष्ट है कि औद्योगिक क्षेत्र खुसराडीह सब स्टेशन जो कि खनन क्षेत्र से 5 किमी की दूरी पर स्थित है, में निलम्बित ठोस कणों (SPM) की मात्रा 335.5 माइक्रोग्राम/घनमीटर पायी गई, जबकि सी.जी.एम. कार्यालय में ठोस कणों की मात्रा 283.83 माइक्रोग्राम/घनमीटर पाई गई। स्पष्ट है, सी.जी.एम. कार्यालय की अपेक्षा खुसराडीह में वायु में ठोस कणों की उपस्थिति अधिक रही। आवासीय क्षेत्र के अन्तर्गत ऊर्जा नगर में ठोस कणों की मात्रा 156.17 माइक्रोग्राम/घनमीटर पायी गई। इस प्रकार पोन्डीग्राम की तुलना में ऊर्जा नगर में वायु में ठोस कणों की उपस्थिति अधिक रही। तुलनात्मक रूप से स्पष्ट है, कि खुसराडीह सब स्टेशन तथा ऊर्जा नगर में वायु प्रदूषण की मात्रा अधिक रही।

जल प्रदूषण :-

खदानों में जल प्रदूषण का प्रमुख स्रोत खदानों से निस्सारित जल तथा मशीनों की धुलाई है, जिससे निकलने वाले जल में तेल तथा ग्रीस की प्रधानता होती है। साथ ही बारिश में ऊपरी भार (Overburden) भी जल प्रदूषण के स्रोत होते हैं। गेवरा खनन क्षेत्र में निस्सारित जल लक्ष्मण नाला में छोड़ा जाता है।

तालिका (7.3) में प्रदर्शित जल गुणवत्ता के आँकड़ों के विश्लेषण द्वारा स्पष्ट है कि जल का pH मान सेटलिंग पॉण्ड नं. 3 तथा लक्ष्मण नाला में क्रमशः 5.9 तथा 6.3 रहा, जो निर्धारित मानक (7.0-8.6) के अनुरूप नहीं है। अन्य स्थानों पर यह मान निर्धारित सीमा में रहा। जल में कुल निलम्बित ठोस कणों की उपस्थिति 258 मिग्रा./लीटर सैटलिंग पॉण्ड नं. 3 में रही, जबकि निलम्बित ठोस कणों की निर्धारिक सीमा 100 मिग्रा./लीटर है। फ्लोराइड की मात्रा सभी क्षेत्रों में निर्धारित मानक सीमा में रही। जल में प्रकाश अवरुद्धता (Turbidity)

-

खनन क्षेत्रों में भू-अवनयन :-

गेवरा, जो कि खुली खदान है का कुल क्षेत्रफल 2023 हेक्टेयर है तथा खनन कार्य के अन्तर्गत कुल 780 हेक्टेयर भू्मि है। खुली खदानों के माध्यम से एसईसीएल का उत्पादन बढ़ाने की योजना है। अत्यधिक खनन होने से और भूमि प्रदूषित होगी। भूमि की बिगड़ती स्थिति के, खनन के पश्चात गहरे गड्ढे ऊपरी भार के बिखरे हुए ढेर, भू-क्षरण, जमीन की भौगोलिक संरचना में बदलाव, वृहद पैमाने पर वनस्पति विनाश ज्वलन्त उदाहरण है। निश्चित ही, इन सब परिवर्तनों का विपरीत असर यहाँ के जल, वायु तथा जैविक तंत्र पर होगा। इस क्षेत्र की अधिकांश वनस्पति नष्ट हो गई है। पठार के समीप सिर्फ मौसमी वृक्ष दिखाई देते हैं। ऐसी भूमि जो फिलहाल उपयोग में नहीं आ रही है वहाँ पर कुछ वनस्पति उग आई है। (तृतीय पर्यावरणीय वस्तु स्थिति प्रतिवेदन, 1996, 555)

कोरबा स्थित एल्युमिनियम संयंत्र एवं पर्यावरण प्रदूषण :-

प्राकृतिक पर्यावरण के असन्तुलन में औद्योगिक विकास महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है। कोरबा शहर के पूर्व में स्थित बाल्को संयंत्र की कार्य प्रणाली तथा सम्बन्धित पर्यावरणीय समस्या एवं संयंत्र से उत्पन्न गैसीय, तरल तथा ठोस अपशिष्टों का विवरण निम्नांकित है:-

गेवरा खनन क्षेत्र: ब्लास्टिंग कार्यगेवरा खनन क्षेत्र: ब्लास्टिंग कार्यसंयंत्र की कार्य प्रणाली एवं सम्बन्धित पर्यावरणीय समस्या :-

1.

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