Outine of sahitya aur samaj in hindi
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साहित्य सामाजिक चेतना का परिचायक और मानव मस्तिष्क का पोषण है. समाज का साहित्य से और साहित्य का समाज से मौलिक सम्बन्ध है. समाज के बिना साहित्य की रचना संभव नही है. सामाजिक जीवन के साथ साथ साहित्य में भी परिवर्तन होता रहता है.
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जो हित सहित हो वही साहित्य हैं, यह हित समाज का ही हित हो सकता है. अतः समाज अपने हित के लिए साहित्य का स्रजन किया करता हैं. साहित्य समाज को प्रकाश देने वाला सूर्य हैं. साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता हैं इसका भाव यही है कि समाज में जो कुछ घटित होता हैं उसका प्रतिबिम्ब साहित्य पर अवश्य पड़ता हैं
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