प आधार बन है। प्रस्तुत पाठ में डायरी, साहित्य की अन्य
विधाओं की तरह एक विधा है। डायरी के विषयवस्तु पाठक के लिए कैसे महत्व
रखते हैं? इसकी समझ को रखना इस पर चर्चा करना और विद्यार्थियों में डायरी
लेखन के प्रति चाहत पैदा करना जैसे विविध उद्देश्य अपेक्षित हैं।
गुलाब के फूल-सी नन्हीं संजू। है तो अभी छोटी, पर है बड़ी सयानी। कक्षा आठ में पढ़ती है।
स्वभाव से हँसमुख है। खूब हँसती-हँसाती है। चुटकुले सुनाए तो हँसी के फव्वारे छूटने लग जाते हैं।
संजू को किताबें पढ़ने का शौक है-कहानी, कविता, कॉमिक्स आदि । यह शौक उसे माँ की
देखा-देखी लगा है। संजू चाहे कक्षा में अच्छे नंबर लाए या जन्मदिन मनाए, उसे उपहार मिलता
है पुस्तक का । फलतः उसके घर में छोटा-सा पुस्तकालय बन गया है। स्कूल में भी उसे चटपटी
पुस्तक की तलाश रहती है।
अभी पिछले दिनों संजू ने गांधी साहित्य पढ़ा। बापू के 'सत्य के प्रयोग' पुस्तक उसे बहुत
पसंद आई। बापू ने इन प्रयोगों को अपनी डायरी में लिखा था। संजू ने सोचा, वह भी डायरी
लिखेगी। माँ ने भी उसका हौसला बढ़ाया। पिता जी को पता चला तो बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने
उसे एक सुंदर डायरी ला दी।
अब संजू मुश्किल में पड़ गई। वह कैसे शुरू करे ? तभी उसे याद आया, उसकी दीदी भी
तो डायरी लिखती हैं। उसने दीदी को अपनी इच्छा बताई। दीदी ने हौसला बढ़ाते हुए कहा-
"यह तो कोई कठिन बात नहीं। बस, रात को
मन लगाकर बैठ जाओ। दिनभर की सारी
घटनाएँ याद करो और वैसी-की-वैसी लिख
दो। इसे प्रतिदिन लिखते रहना जरूरी है।"
संजू ने हठ करते हुए कहा-"दीदी, आपकी
डायरी दिखा दो ना। थोड़ा-सा पढ़कर लौटा
दूंगी।" दीदी पहले तो हिचकिचाई, फिर बात
मान ली। संजू ने दीदी की डायरी के जो पृष्ठ
पढ़े, वे नीचे दिए जा रहे हैं।
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