Music, asked by sajalsahu1753, 8 months ago

पं अच्चन महाराज अथवा पं गोपीकृष्ण का जीवनचरित्र तथा नृत्य योगदान का उल्लेख कीजिये।

Answers

Answered by viny10
57

Answer:

Hope it helps you .

Explanation:

पंडित बृजमोहन मिश्र (जिन्हें बिरजू महाराज भी कहा जाता है)(जन्म: ४ फ़रवरी १९३८) प्रसिद्ध भारतीय कथक नर्तक एवं हैं। ये शास्त्रीय कथक नृत्य के लखनऊ कालिका-बिन्दादिन घराने के अग्रणी नर्तक हैं।[1] पंडित जी कथक नर्तकों के महाराज परिवार के वंशज हैं जिसमें अन्य प्रमुख विभूतियों में इनके दो चाचा व ताऊ, शंभु महाराज एवं लच्छू महाराज; तथा इनके स्वयं के पिता एवं गुरु अच्छन महाराज भी आते हैं। हालांकि इनका प्रथम जुड़ाव नृत्य से ही है, फिर भी इनकी पर भी अच्छी पकड़ है, तथा ये एक अच्छे शास्त्रीय गायक भी हैं।[2] इन्होंने कत्थक नृत्य में नये आयाम नृत्य-नाटिकाओं को जोड़कर उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।[3] इन्होंने कत्थक हेतु '''कलाश्रम''' की स्थापना भी की है। इसके अलावा इन्होंने विश्व पर्यन्त भ्रमण कर सहस्रों नृत्य कार्यक्रम करने के साथ-साथ कत्थक शिक्षार्थियों हेतु सैंकड़ों कार्यशालाएं भी आयोजित की हैं।

Answered by Anonymous
10

Answer:

पंडित बृजमोहन मिश्र (जिन्हें बिरजू महाराज भी कहा जाता है)(जन्म: ४ फ़रवरी १९३८) प्रसिद्ध भारतीय कथक नर्तक एवं हैं। ये शास्त्रीय कथक नृत्य के लखनऊ कालिका-बिन्दादिन घराने के अग्रणी नर्तक हैं।[1] पंडित जी कथक नर्तकों के महाराज परिवार के वंशज हैं जिसमें अन्य प्रमुख विभूतियों में इनके दो चाचा व ताऊ, शंभु महाराज एवं लच्छू महाराज; तथा इनके स्वयं के पिता एवं गुरु अच्छन महाराज भी आते हैं। हालांकि इनका प्रथम जुड़ाव नृत्य से ही है, फिर भी इनकी पर भी अच्छी पकड़ है, तथा ये एक अच्छे शास्त्रीय गायक भी हैं।[2] इन्होंने कत्थक नृत्य में नये आयाम नृत्य-नाटिकाओं को जोड़कर उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।[3] इन्होंने कत्थक हेतु '''कलाश्रम''' की स्थापना भी की है। इसके अलावा इन्होंने विश्व पर्यन्त भ्रमण कर सहस्रों नृत्य कार्यक्रम करने के साथ-साथ कत्थक शिक्षार्थियों हेतु सैंकड़ों कार्यशालाएं भी आयोजित की हैं।

बिरजू महाराज

Pandit Birju Maharaj.jpg

पृष्ठभूमि की जानकारी

जन्म

4 फ़रवरी 1938 (आयु 82)

लखनऊ, उत्तर प्रदेश

मूल

भारत

शैलियां

हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत

शास्त्रीय नर्तक

सक्रिय वर्ष

१९५१ – वर्तमान

जालस्थल

birjumaharaj-kalashram.com

अपने चाचा, शम्भू महाराज के साथ नई दिल्ली स्थित भारतीय कला केन्द्र, जिसे बाद में कत्थक केन्द्र कहा जाने लगा; उसमें काम करने के बाद इस केन्द्र के अध्यक्ष पर भी कई वर्षों तक आसीन रहे। तत्पश्चात १९९८ में वहां से सेवानिवृत्त होने पर अपना नृत्य विद्यालय कलाश्रम भी दिल्ली में ही खोला।[3][4]

Similar questions