पो+अन की संधी होगी ?
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स्वर संधि
प्रश्न - स्वर संधि किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर- दो स्वरों के मेल से जो विकार या रूप परिवर्तन होता है , उसे स्वर सन्धि कहते हैं । जैसे -
हिम + आलय = हिमालय (अ +आ = आ ) [ म् +अ = म ] 'म' में 'अ' स्वर जुड़ा हुआ है
विद्या = आलय = विद्यालय (आ +आ = आ )
पो + अन = पवन (ओ +अ = अव )
[यहाँ पर प्+ओ +अन { प् +अव् (ओ के स्थान पर )+अन }
प्+अव = पव
पव +अन = पवन ]
प्रश्न - स्वर सन्धि के कितने प्रकार हैं ?
उत्तर - स्वर संधि के प्रमुख पाँच प्रकार हैं -
दीर्घ स्वर संधि
गुण स्वर संधि
वृध्दि स्वर संधि
यण स्वर संधि
अयादि स्वर संधि
प्रश्न - दीर्घ स्वर संधि किसे कहते हैं ? उदहारण सहित समझाइए ।
उत्तर - जब दो सवर्ण स्वर आपस में मिलकर दीर्घ हो जाते हैं , तब दीर्घ स्वर संधि होता है । यदि 'अ' 'आ' 'इ ' 'ई' 'उ' 'ऊ' और 'ऋ' के बाद हृस्व या दीर्घ स्वर आए तो दोनों मिलकर क्रमशः 'आ' 'ई' 'ऊ' और ऋ हो जाते हैं अर्थात दीर्घ हो जाते हैं ।
अ + अ = आ
उ + उ = ऊ
अ + आ = आ
उ + ऊ = ऊ
आ + आ =आ
ऊ + उ = ऊ
आ + अ = आ
ऊ + ऊ = ऊ
इ + इ = ई
ऋ + ऋ = ऋ
इ + ई = ई
दीर्घ स्वर संधि के नियम
ई + ई = ई
ई + इ = ई
जैसे -
( अ + अ = आ )
ज्ञान + अभाव = ज्ञानाभाव
स्व + अर्थी = स्वार्थी
देव + अर्चन = देवार्चन
मत + अनुसार = मतानुसार
राम + अयन = रामायण
काल + अन्तर = कालान्तर
कल्प + अन्त = कल्पान्त
कुश + अग्र = कुशाग्र
कृत + अन्त = कृतान्त
कीट + अणु = कीटाणु
जागृत + अवस्था = जागृतावस्था
देश + अभिमान = देशाभिमान
देह + अन्त = देहान्त
कोण + अर्क = कोणार्क
क्रोध + अन्ध = क्रोधान्ध
कोष + अध्यक्ष = कोषाध्यक्ष
ध्यान + अवस्था = ध्यानावस्था
मलय +अनिल = मलयानिल
स + अवधान = सावधान
( अ + आ = आ )
परम + आत्मा = परमात्मा
घन + आनन्द = घनानन्द
चतुर + आनन = चतुरानन
परम + आनंद = परमानंद
पर + आधीनता = पराधीनता
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
हिम + आलय = हिमालय
एक + आकार = एकाकार
एक + आध = एकाध
एक + आसन = एकासन
कुश + आसन = कुशासन
कुसुम + आयुध = कुसुमायुध
कुठार + आघात = कुठाराघात
खग +आसन = खगासन
भोजन + आलय = भोजनालय
भय + आतुर = भयातुर
भाव + आवेश = भावावेश
मरण + आसन्न = मरणासन्न
फल + आगम = फलागम
रस + आस्वादन = रसास्वादन
रस + आत्मक = रसात्मक
रस + आभास = रसाभास
राम + आधार = रामाधार
लोप + आमुद्रा = लोपामुद्रा
वज्र + आघात = वज्राघात
स + आश्चर्य = साश्चर्य
साहित्य +आचार्य = साहित्याचार्य
सिंह + आसन = सिंहासन
( आ + अ = आ )
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
भाषा + अन्तर = भाषान्तर
रेखा + अंकित = रेखांकित
रेखा + अंश = रेखांश
लेखा + अधिकारी = लेखाधिकारी
विद्या +अर्थी = विद्यार्थी
शिक्षा +अर्थी = शिक्षार्थी
सभा + अध्यक्ष = सभाध्यक्ष
सीमा + अन्त = सीमान्त
आशा + अतीत = आशातीत
कृपा + आचार्य = कृपाचार्य
कृपा + आकाँक्षी = कृपाकाँक्षी
तथा + आगत = तथागत
महा + आत्मा = महात्मा
( आ + आ = आ )
मदिरा + आलय = मदिरालय
महा + आशय = महाशय
महा +आत्मा = महात्मा
राजा + आज्ञा = राजाज्ञा
लीला+ आगार = लीलागार
वार्ता +आलाप = वार्तालाप
विद्या +आलय = विद्यालय
शिला + आसन = शिलासन
शिक्षा + आलय = शिक्षालय
क्षुधा + आतुर = क्षुधातुर
क्षुधा +आर्त = क्षुधार्त
( इ + इ = ई )
कवि + इन्द्र = कवीन्द्र
मुनि + इंद्र = मुनींद्र
रवि + इंद्र = रवींद्र
अति + इव = अतीव
अति + इन्द्रिय = अतीन्द्रिय
गिरि + इंद्र = गिरीन्द्र
प्रति + इति = प्रतीत
हरि + इच्छा = हरीच्छा
फणि + इन्द्र = फणीन्द्र
यति + इंद्र = यतीन्द्र
अति + इत = अतीत
अभि + इष्ट = अभीष्ट
प्रति + इति = प्रतीति
प्रति + इष्ट = प्रतीष्ट
प्रति + इह = प्रतीह
( इ + ई = ई )
गिरि + ईश = गिरीश
मुनि + ईश = मुनीश
रवि + ईश = रवीश
हरि + ईश = हरीश
कपि+ ईश = कपीश
कवी + ईश = कवीश
( ई + ई = ई )
सती + ईश = सतीश
मही + ईश्वर = महीश्वर
रजनी + ईश = रजनीश
( ई + इ = ई )
मही + इंद्र = महीन्द्र
( उ + उ = ऊ )
गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
भानु + उदय = भानूदय
विधु + उदय = विधूदय
सु + उक्ति = सूक्ति
लघु + उत्तरीय = लघूत्तरीय
( उ + ऊ = ऊ )
लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
( ऊ + उ = ऊ )
वधू + उत्सव = वधूत्सव
( ऊ + ऊ = ऊ )
भू + ऊर्जा = भूर्जा
भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व
( ऋ + ऋ = ऋ )
पितृ + ऋण = पितृण
मातृ + ऋण = मातृण
प्रश्न - गुण स्वर सन्धि किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर - यदि 'अ' या 'आ' के बाद 'इ' या 'ई' 'उ' या 'ऊ' और ऋ आए तो दोनों मिलकर क्रमशः 'ए' 'ओ' और अर हो जाता है । इस मेल को गुण स्वर संधि कहते हैं ।
अ + इ = ए
आ + उ = ओ
आ + इ = ए
आ + ऊ = ओ
अ + ई = ए
अ + ऋ= अर
आ + ई = ए
आ + ऋ = अर्
अ + उ = ओ
गुण स्वर संधि के नियम
जैसे -
( अ + इ = ए )
देव + इन्द्र = देवेन्द्र
सुर + इंद्र = सुरेंद्र
भुजग + इन्द्र = भुजगेन्द्र
बाल + इंद्र = बालेन्द्र