पिबन्ति नद्यः स्वयमेव नाम्भः। स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः। नादन्ति सत्यं खलु वारिवाहाहः। परोपकाराय सतां विभूतयः।। 1) 'वृक्षाः' इति पदस्य क्रियापदं किम्?
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नदियाँ अपना पानी खुद नहीं पीती, वृक्ष अपने फल खुद नहीं खाते, बादल (खुद ने उगाया हुआ) अनाज खुद नहीं खाते । सत्पुरुषों का जीवन परोपकार के लिए हि होता है ।
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