पंच महायज्ञ किस कर्म के अंतर्गत आते हैं
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Answer. ब्रह्म यज्ञ ► ब्रह्मायज्ञ का तात्पर्य नित्य प्रति ध्यान, साधना, पूजा आदि से है। प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व तथा सायं काल सूर्यास्त के बाद एकांत स्थान में बैठकर ईश्वर का ध्यान करना तथा अपनी आत्मा का साक्षात्कार करना व नियमित रूप से ईश्वर का चिंतन करते रहना ही ब्रह्मा यज्ञ है।
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