पांच औषधि पेड़ों के नाम संस्कृत में और उनका गुण महत्व
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भोजन संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ती ही होती बल्कि जीव जगत से नाजुक संतुलन बनाने में भी ये आगे रहते हैं-कार्बन चक्र हो या भोजना श्रृंखला के पिरामिड में भी ये सर्वोच्च स्थान ही हासिल करते हैं। इनकी उपयोगिता को देखते हुए इनको अनेक संवर्गों में बांटा गया है। इनमें औषधीय पौधे न केवल अपना औषधीय महत्व रखते हैं आय का भी एक जरिया बन जाते हैं। हमारे शरीर को निरोगी बनाये रखने में औषधीय पौधों का अत्यधिक महत्व होता है यही वजह है कि भारतीय पुराणों, उपनिषदों, रामायण एवं महाभारत जैसे प्रमाणिक ग्रंथों में इसके उपयोग के अनेक साक्ष्य मिलते हैं। इससे प्राप्त होने वाली जड़ी-बूटियों के माध्यम से न केवल हनुमान ने भगवान लक्ष्मण की जान बचायी बल्कि आज की तारीख में भी चिकित्सकों द्वारा मानव रोगोपचार हेतु अमल में लाया जाता है। यही नहीं, जंगलों में खुद-ब-खुद उगने वाले अधिकांश औषधीय पौधों के अद्भुत गुणों के कारण लोगों द्वारा इसकी पूजा-अर्चना तक की जाने लगी है जैसे तुलसी, पीपल, आक, बरगद तथा नीम इत्यादि। प्रसिध्द विद्वान चरक ने तो हरेक प्रकार के औषधीय पौधों का विश्लेषण करके बीमारियों में उपचार हेतु कई अनमोल किताबों की रचना तक कर डाली है जिसका प्रयोग आजकल मानव का कल्याण करने के लिए किया जा रहा है।
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