पंच परमेश्वर कहानी का सारांश
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dont know
from which book it is?
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पंच परमेश्वर कहानी प्रेमचंद्र के द्वारा लिखा गया है यह उनकी कहानी है जो की 1916 में लिखा गया था जुमन सेख और अलगू चौधरी में गहरी मित्रता थी उन दोनों के विचार मे खाते थे उनकी मित्रता केन दिन में साझेदारी की थी उन दोनों में परस्पर विश्वास था जुमन शेख हज करने गया था अपने घर का देख रेख अलगू चौदरी पर छोड़ दिया था पचपन से उन्दोनो की मित्रता थी जुमन की पिता ही उन दोनों के शिक्षक थे जुमन का मन विद्या के कारन होता है तो अलगू का सामान धन के कारन होता है एक बार ऐसे घटना होती है की दोनों का ,मित्रता टूटने लगती है बूढी खला ने पंचायत बुलाई उनकी स्मति जुमन को मुलने बाबजूद उसकी सेवा ठीक से नहीं हो रही ! जुम्मन की बीबी कृमण तीखा बोलती थी जुम्मन की पत्नी करीमन की रोटियों के साथ कड़वी बातो से कुछ तेज -सीखे सलान भी देने लगी ! जुम्मन सेख भी निष्ठुर हो गए ! अब बेचारे खला जान को प्राय नित्य ही ऐसी बाटे सुननी पड़ती थी !
दूसरे तरफ जुम्मन के तर्क थे -बुढ़िया न जाने कब तक जियेगी !दो तीन बीघे ऊसर क्या दे दिया ,मनो मोल ले लिया ! बघारी दाल के बिना रोटी नहीं उतरती ! जीतना रुपया इनके पेट में झोक चुके ,उतने से तो अब तक गाँव मोल ले लेते। ……!न- नकुर के बादअलगू पंच बने ! बूढी खला ने कहा -बेया क्या बिगाड़ा के दर से बात कहोगे ? अलगू उधेड़ फस जाता है ! हमारे सोए हुए धर्मिण की साडी सम्पति लूट जाए ,तो उसे खबर नहीं होती ,परन्तु ललकार सुनकर सचेत हो जाता है ! अलगू बार -बार सोचता -क्या बिगाड़ के डर से मान की बात न कहोगे !
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