पांच दिन का पर्व दीपावली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है उस पर एक छोटी सी चित्रपट कथा
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Explanation:
इस त्योहार के आने के कई दिन पहले से ही घरों की लिपाई-पुताई, सजावट प्रारंभ हो जाती है। इन दिन पहनने के लिए नए कपड़े बनवाए जाते हैं, मिठाइयां बनाई जाती हैं। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है इसलिए उनके आगमन और स्वागत के लिए घरों को सजाया जाता है। यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है।
दिवाली हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार है। दिवाली त्यौहार हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है। इस दिन श्री राम अपना चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण करके अयोध्या वापस लौटे थे। श्री राम जी के घर वापस लौटने की ख़ुशी हर्ष उल्लास मनाया गया यही परम्परा आज भी जारी है।
दीपावली (संस्कृत : दीपावलिः = दीप + अवलिः = दीपकों की पंक्ति, या पंक्ति में रखे हुए दीपक) शरद ऋतु (उत्तरी गोलार्द्ध) में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन सनातन त्यौहार है।[2][3] दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है दीपावली भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। दीपावली दीपों का त्योहार है। आध्यात्मिक रूप से यह 'अन्धकार पर प्रकाश की विजय' को दर्शाता है।[4][5][6]
दीपावली
The Rangoli of Lights.jpg
रंगीन पाउडर का प्रयोग कर रंगोली सजाना दीपावली में काफी प्रसिद्ध है
अन्य नाम
दीपावली
अनुयायी
हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध [1]
उद्देश्य
धार्मिक निष्ठा, उत्सव
उत्सव
दिया जलना, घर की सजावट, खरीददारी, आतिशबाज़ी, पूजा, उपहार, दावत और मिठाइयाँ
आरम्भ
धनतेरस, दीपावली से दो दिन पहले
समापन
भैया दूज, दीपावली के दो दिन बाद
तिथि
कार्तिक माह की अमावस्या
समान पर्व
काली पूजा, दीपावली (जैन), बंदी छोड़ दिवस
भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात (हे भगवान!) मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाइए। यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं[7][8] तथा सिख समुदाय इसे बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है।
माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे।[9] अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है। दीपावली यही चरितार्थ करती है- असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफेदी आदि का कार्य होने लगता है। लोग दुकानों को भी साफ-सुथरा कर सजाते हैं। बाजारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाजार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे नज़र आते हैं।
दीपावली के दिन नेपाल, भारत,[10] श्रीलंका, म्यांमार, मारीशस, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया की बाहरी सीमा पर क्रिसमस द्वीप पर एक सरकारी अवकाश होता है।