पंचायत और गांव का मुख्य किस तरह से ग्रामीण समाज का नियम करते हैं
Answers
ग्रामीण समाज का पंचायत और मुखिया के जरिये निगमन
1. पंचायत : गाँव की पंचायत में बुजुर्गें का जमावड़ा होता था l आमतौर पर वे गाँव के महत्त्वपूर्ण लोग हुआ करते थे जिनके पास अपनी संपत्ति के पुश्तैनी अधिकार होते थे l जिन गाँवों में कई जातियों के लोग रहते थे, वहाँ अक्सर पंचायत में भी विविधता पाई जाते थी l
2. अल्पतंत्र : यह एक ऐसाअल्पतंत्र था जिसमें गाँवों के अलग-अलग संप्रदायों और जातियों की नुमाइंदगी होती थी फिर भी इसकी संभावना कम ही है l की छोटे-मोटे और ‘नीच’ काम करने वाले खेतिहर मजदूरों के लिए इनमे कोई जगह होती होगीl
3. मुख्या या मुकद्दम : पंचायत का सरदार एक मुखिया होता था l जिसे मुकद्दम या मंडल कहते थे l कुछ स्रोतोंसे ऐसा लगता है की मुख्या का चुनाव गाँव के बुजुर्गों की आम सहमती से होता था
4. कार्यकाल : मुखिया अपने ओहदे पर तभी तक बना रहता था जब तक गाँव के बुजुगों को उस पर भरोसा था l एसा नही है की बुजुर्ग उसे बर्खास्त कर सकते थे l गाँव के आमदनी व खर्चे का हिसाब-किताब अपनी निगरानी में बनवाना मुखिया का मुख्य काम था l और इसमें पंचायत का पटवारी उसकी मदद करता था l
5. खर्चा : पंचायत का खर्चा गाँव के उस आम खजाने से चलता था जिसमे हर व्यक्ति अपना योगदान देता था l इस खजाने से उन कर अधिकारियों की खातिरदारी का खर्चा भी किया जाता था जो समय-समय पर गाँव का दौरा किया करते थे l 6. कार्य और उत्तरदायित्त्व: पंचायत का एक बड़ा कामयह तसल्ली करना था की गाँव में रहने वाले अलग-अलग समुदायों के लोग अपने जाती की हदों के अंदर रहें l पूर्वी भारत में सभी शादियाँ मंडल की मौजूदगी में होती थीं l
7. आय के स्रोत : पंचायतों को जुरमाना लगाने और समुदाय से निष्कासित करने जैसे ज्यादा गंभीर दंड देने के अधिकार थे l समुदाय से बाहर निकालना एक कड़ा कदम था जो एक सीमित समय के लिए लागु किया जाता था l इसके तहत दंडित व्यक्ति को गाँव छोड़नापड़ता था
8. जातिगत पंचायतें : ग्राम पंचायत के आलावा गाँव में हर जाति के अपनी पंचायत होती थी l समाज में ये पंचायतें काफी ताकतवर होती थीं l राजस्थान में जाती पंचायतें अलग-अलग जातियों के लोगों के बीच दीवानी के झगड़ों का निपटारा करती थी l