Hindi, asked by dhaval765, 9 months ago

पंचवटी की छाया में है
सुंदर पर्ण कुटीर बना ।
उसके सम्‍मुख स्‍वच्छ शिला पर
धीर-वीर निर्भीक मना ।।
जाग रहा यह कौन धर्नुर
जबकि भुवन भर सोता है ?
भोगी कुसुमायुध योगी-सा
बना दृष्‍टिगत होता है bhavarth

Answers

Answered by priyanka95
58

Answer:

भावार्थ- कवि कहता है कि पंचवटी की घनी छाया में एक सुन्दर पत्तो की कुटिया बनी हुई है।उस कुटिया के सामने एक स्वच्छ विशाल पत्थर पड़ा हुआ है और उस पत्थर के ऊपर धैर्यशाली, निर्भय मनवाला वीर पुरुष बैठा हुआ है। सारा संसार सो रहा है पर यह धनुषधारी इस समय भी जाग रहा है। यह वीर ऐसा दिखाई पड़ता है जैसे भोग करने वाला कामदेव यहाँ योगी बनकर आ बैठा हो।

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Answered by royelgaming127336
2

Explanation:

पंचवटी की छाया मे हे सुंदर पर्ण कुटीत बना उसके समुख स्वच्छ शिलपर धीर- विर निर्भीक मना

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