पूछ गए प्रश्ना क उत्तर लिखिए।
खिड़की से झांकी दो आंखें उदास
काटी न जाए सौगंध भरी रात
ऐसे में कोई आ जाए जो पास
बिस्तर के सिकन राम भूखे हैं
बीसों प्रतीक्षाओं का जूटन है
कब तक रहेगा इस घर में बनवासा
दर्द में दबाया यह भारी मन है
खिड़की से झांकती दो आंखें उदास।
एक गंध जुड़े की रूठी सौ बार
नयनों के कोर भरे दिन है
पलकों में छाया सावन घन है
कंगन ये खनकाए बिन है
सावन का खारा-जल मीठे नहीं प्यास यादों की गांठ बंधे और कितने
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