Hindi, asked by narritipandotra, 1 year ago

पिछली कक्षा का अनुभव लिखिए

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मैं आठवीं कक्षा की विद्यार्थी हूं। इसी वर्ष मैंने नए स्कूल में दाखिला लिया है। इस स्कूल का पहला दिन मुझे अच्‍छी तरह याद है। मेरे लिए यह बड़ा ही रोमांचक और यादगार दिन था। मैं एक दिन पहले से ही बहुत खुश और उत्तेजित थी।

पिताजी मेरे लिए नया स्कूल बैग, पुस्तकें लाए थे और मेरे लिए नई यूनिफॉर्म भी सिलवाई थी। मां ने कुछ सीखें दीं और पिताजी ने उत्साह भरे शब्दों के साथ मुझे स्कूल के लिए रवाना किया।

स्कूल बस से मैं समय पर स्कूल पहुंच गई। प्रिंसिपल ने नए विद्यार्थियों का स्वागत किया। सभी विद्यार्थियों को तिलक लगाकर उनकी आरती भी उतारी गई। उन्होंने प्यार से मेरी पीठ थपथपाई। सभी बच्चों के चेहरों पर मुस्कुराहट थी और कक्षा में भी उत्साह का वातावरण था।

कक्षा में सभी विद्या‍र्थियों से उनके नाम आदि के बारे में जानकारी ली गई। मैंने लंच ब्रेक में जाकर कैंटीन में कचोरियां भी खाईं। इसके बाद हम वापस अपनी-अपनी कक्षाओं में चले गए। फिर दो पीरियड के बाद गेम्स पीरियड आया। मैंने खो-खो खेला यह मेरा पसंदीदा खेल है।

छुट्‍टी की घंटी बजने पर बच्चे उछलकूद करते हुए विद्यालय परिसर से बाहर आ गए। बाहर खड़ी स्कूल बस में बैठकर हम अपने-अपने घरों को आ गए। रास्ते में भी हम सब ढेर सारी बातें करते हुए घर आए। मैं इस दिन को कभी नहीं भूलूंगी।

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Answer:

मेरा जो बेहतरीन अनुभव रहा है स्कूल के समय में वो था स्कूल का फेयरवेल !!

मैंने स्पीच में कुछ लिखावट बनावट तो नहीं किया था और ना ही मेरी भाषा उतनी प्रभावशाली थी लेकिन मेरा स्पीच ख़तम होते होते मेरे साथ के हर लड़के लड़की का चेहरा उदास और आंखे नम हो चुकी थीं क्योंंकि शायद वो उन 14 सालों की यादें थी जो मैंने 14 मिनट में समेट के सामने ला दिया था !!

मेरा मानना है कि जरूरी नहीं है कि फेयरवेल के समय अलंकारों से लदी-फदी भाषा का ही इस्तेमाल किया जाए या कि अनावश्यक रूप से स्पीकर बनने की कोशिश की जाए। सीधी सपाट भाषा और कम शब्दों में भी फेयरवेल स्पीच यादगार हो सकती है ! फेयरवेल में बोले गए शब्दों से ज्यादा चेहरे के भाव महत्वपूर्ण होते हैं!! आपके चेहरे से लगना चाहिए कि आप जो कुछ कह रहे हैं, वह दिल से कह रहे हैं ! इस बात को कभी न भूलें कि चेहरा तब भी झूठ नहीं बोलता, जब आपके होंठ झूठ बोल रहे होते हैं !!

सभी लड़कियां साड़ी में सजी हुई ऐसी लग रही थी कि दिवाली के शाम की पूजा करने आयी हों ! हम लड़के लोग भी ब्लेजर पहन कर उन्हें एक अच्छा कॉम्पटीशन दे रहे थे लेकिन ये कॉम्पटीशन ऐसे ही था जैसे जिम्बाम्बे और ऑस्ट्रेलिया का क्रिकेट मैच !!

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